Punjab Election 2022: अरविंद केजरीवाल के लिए 'मान' मजबूरी हैं या जरूरी, जाने क्या है इनसाइड स्टोरी
Punjab Election 2022: 'आम आदमी पार्टी' (Aam Admi Party) पंजाब में अपने एकमात्र लोकसभा सांसद और अक्सर विवादों में रहे लोकप्रिय सिख चेहरा भगवंत मान (Bhagvant Maan) को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपना सेनापति नियुक्त किया है।
Punjab Election 2022: कोरोना के तीसरे लहर के आहट के बीच इन दिनों देश में सियासी गतिविधियां (political activities) तेज है। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2022) को लेकर सियासी दल अपने घरों को दुरूस्त करने में जुटे हुए हैं। आमतौर पर जनवरी में बेहद ठंड रहने वाला पंजाब (Punjab) में इन दिनों विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी तापमान चढ़ा हुआ है।
मुख्य विपक्षी दल और सत्ता की दावेदार 'आम आदमी पार्टी' (Aam Admi Party) इस बार अपनी गलतियों को दुहराने की मूड में नहीं है। यही वजह है कि पार्टी ने अपने एकमात्र लोकसभा सांसद और अक्सर विवादों में रहे लोकप्रिय सिख चेहरा भगवंत मान (Bhagvant Maan) को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपना सेनापति नियुक्त किया है। संगरूर से सांसद भगवंत मान को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि वो सीएम केजरीवाल की पहली पसंद नहीं थे। तो आइए जानते हैं कि आखिर किन
परिस्थितियों में भगवंत मान को बतौर सीएम कैंडिडेट ऐलान करने को मजबूर हुए केजरीवाल –
2014 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में 4 सीटों पर जीत दर्ज कर सबको चौंकाने वाली आम आदमी पार्टी तीन साल बाद ही हुई विधानसभा चुनाव में वो प्रदर्शन दोहरा नहीं सकी। पार्टी की इस हार की वजह बगैर किसी स्थानीय चेहरे को आगे किए बगैर चुनाव लड़ने को बताया गया। 2019 में लोकसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या घटकर 1 रह गई। ऐसे में पूरानी हार से सबक लेते हुए दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने किसी स्थानीय चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ने का फैसला किया। संगरूर से लगातार दोबारा जीतकर संसद पहुंचे मान खुद को इस पद के लिए सबसे योग्य मानते थे।
बॉलीवुड सुपरस्टार सोनू सूद को 'आप' का सीएम चेहरा बनाने की कोशिश नाकाम
हालांकि केजरीवाल उनके कंट्रोवर्सी को देखते हुए उनके नाम को टालने की कोशिश की। वो अंत तक बॉलीवुड सुपरस्टार सोनू सूद औऱ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल में से किसी एक को आप का सीएम चेहरा बनाने की कोशिश करते रहे हैं। हालांकि इनमे उनको सफलता हाथ नहीं लगी, सूद ने सक्रिय राजनीति में शामिल होने से इनकार करते हुए अपनी बहन को कांग्रेस में शामिल करवाया, वहीं राजेवाल ने भी आप ज्वाइन से इनकार कर दिया। केजरीवाल की इस मजबूरी का फायदा उठाते हुए मान ने प्रेशर पोलिटिक्स करनी शुरू कर दी।
बठिंडा देहात से विधायक रहीं रूपिंदर रब्बी कांग्रेस में शामिल हो गईं
उन्होंने पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होना छोड़ दिया। अपने समर्थक विधायकों को इकट्ठा कर नेतृत्व के खिलाफ बयान दिलाने लगे। बठिंडा देहात से विधायक रहीं रूपिंदर रब्बी ने मान को सीएम का चेहरा बनाने की मांग करते हुए पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई। इन सब घटनाक्रमों से दवाब में आए आप मुखिया ने 2017 की गलतियों से सीख लेते हुए भगवंत मान को सीएम फेस घोषित कर दिया। यही वजह है कि पार्टी के अंदरूनी हलकों में ये चर्चा जोरों पर है कि अपने विरोधियों को पार्टी से किनारा करने में माहिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को किस तरह आखिर उन्हीं के पार्टी के एक नेता ने पटखनी दे दी।