आजादी के बाद की सबसे बड़ी त्रासदी, समाज पर भी उठाने होंगे गंभीर सवाल

राजन ने कहा है कि भारत अपनी आजादी के बाद कोरोना महामारी के रूप में सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-05-16 18:45 GMT

कोरोना की जांच कराती महिला (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ( Raghuram Rajan )ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बनी त्रासद स्थिति के लिए सरकार और समाज पर सवाल उठाए हैं। राजन ने कहा है कि भारत अपनी आजादी के बाद कोरोना महामारी के रूप में सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। भारत के लिए यह त्रासदी भरा समय है।

उनका यह कहना एकदम सही है। भारत ने आज़ादी के पहले और बाद में कई महामारियों और युद्धों का सामना किया है लेकिन वर्तमान संकट सबसे बड़ा और अलग तरह का है। इस महामारी ने हमारी अव्यवस्थाओं, खामियों और कमजोरियों को सामने ला दिया है। सिस्टम की विफलता सबसे बड़ी त्रासदी है। इस महामारी का दूरगामी प्रभाव पूरे देश और समाज पर पड़ेगा। देश में चीजें बेहतरी की ओर जाएंगी या बदतरी की ओर, कोई कुछ कह नहीं सकता। बहुत बड़े फैसले लेने होंगे और क्रियान्वित करना होगा। यह बहुत बड़ी चुनौती होने वाली है।

नदारद सरकार

दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर में देश में कई जगहों पर सरकार लोगों की मदद के लिए मौजूद नहीं थी। राजन ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बिस्तर मुहैया करा पा रही है लेकिन कई स्थानों पर इस स्तर पर भी सरकार काम नहीं कर रही। लोगों की मदद के लिए सरकार वहां मौजूद ही नहीं थी। इसकी कई वजहें रहीं।
राजन का कहना सही है, क्योंकि जब अप्रैल के पहले हफ्ते के बाद अचानक कोरोना का विस्फोट हुआ तो सरकारों में लकवे की स्थिति देखी गई। ऐसी स्थिति से निपटने की पहले से कोई तैयारी थी नहीं और कोई इमरजेंसी प्लान भी नहीं दिखा। लगता था मानों कहीं कोई कुछ करने देखने वाला ही नहीं है।

एक कार्यक्रम के दौरान रघुराम राजन (फाइल फोट: सोशल मीडिया)

समाज पर उठाने होंगे गंभीर सवाल

रघुराम राजन ने कहा है कि महामारी के बाद अगर हम समाज के बारे में गंभीरता से सवाल नहीं उठाते हैं, तो यह महामारी जितनी ही बड़ी त्रासदी होगी। दरअसल, इस महामारी ने हमारे समाज के कई चेहरे सामने ला दिए हैं। वो रूप जो पहले भी दिखते रहे हैं लेकिन उनपर ध्यान नहीं गया, सवाल नहीं उठाए गए। संभवतः राजन भारतीय समाज के इन्हीं रूपों के बारे में कह रहे थे। ये रूप हैं - ,अनुशासन की नितांत कमी, त्रासदी के समय भी हृदयहीनता, अमानवीयता, कालाबाजारी, नकली दवाएं, मुनाफाखोरी, लूट खसोट। ऐसे में राजन का कहना सही है कि समाज के बारे में गंभीर सवाल उठाने होंगे नहीं तो देश, समाज और लोगों के लिए महामारी से भी त्रासद स्थिति होगी।

आर्थिक और व्यक्तिगत चुनौती

राजन ने कहा है कि जब कोरोना महामारी पहली बार आई तो लॉकडाउन की वजह से चुनौती मुख्यत: आर्थिक थी, लेकिन अब चुनौती आर्थिक और व्यक्तिगत दोनों ही है और जैसे हम आगे बढ़ेंगे तो इसमें एक सामाजिक तत्व भी शामिल होगा। उन्होंने कहा कि महामारी ने दिखा दिया है कि हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोई भी व्यक्ति एक अलग टापू नहीं है।

दूरदर्शिता और लीडरशिप की कमी

राजन इसके पहले भी कह चुके हैं कि महामारी की दूसरी लहर ने दिखा दिया है कि पहली लहर के बाद देश में कितनी शिथिलता - लापरवाही आ गई थी। इसके अलावा इसने ये भी दिखा दिया कि देश में लीडरशिप और दूरदर्शिता की कमी है।


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