Raipur Dharma Sansad : धर्म संसद में अब 'बापू' पर विवादित बोल, धर्मगुरु ने कहे अपशब्द, देशद्रोह के मुकदमे की मांग
धर्म संसद में रविवार को धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे की सराहना की। कहा, 'लोगों को धर्म की रक्षा के लिए सरकार के प्रमुख के रूप में एक कट्टर हिंदू नेता का चुनाव करना चाहिए।'
Raipur Dharma Sansad : आज कल देश के विभिन्न राज्यों में हिंदू धर्म संसद का आयोजन हो रहा है। इस धर्म संसद में शामिल होने वाले साधु-संतों के बयान कई बार 'विवादित' या 'अमर्यादित' की श्रेणी में कहे जा सकते हैं। जिस पर अब विवाद बढ़ने लगा है। ऐसे ही एक धर्म संसद में रविवार को धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे की सराहना की। कहा, 'लोगों को धर्म की रक्षा के लिए सरकार के प्रमुख के रूप में एक कट्टर हिंदू नेता का चुनाव करना चाहिए।' अब उनका ये बयान सुर्खियों में है।
दरअसल, इस धर्म संसद का आयोजन कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुआ है। जहां, भाषण देते हुए कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के खिलाफ एक अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया। उनके इस अमर्यादित बयान का कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आलोचना की है।
संजय निरुपम ने की कार्रवाई की मांग
आलोचना करने वालों में महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता संजय निरुपम भी हैं। हालांकि, प्रतिक्रिया देने में संजय निरुपम की भाषा भी बेहद सख्त और तल्ख़ रही है। उन्होंने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, 'यह भगवाधारी फ्रॉड राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सरेआम गालियां दे रहा है। इसे तत्काल अंदर करना चाहिए। गांधी जी से किसी को वैचारिक मतभेद हो सकता है, पर उनका अपमान करने का हक किसी को नहीं है। यह अक्षम्य अपराध है।'
'इन पर देशद्रोह लगा दें'
वहीं, महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले अघाड़ी सरकार में ऊर्जा मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. नितिन राउत ने ट्वीट में लिखा है। 'ये कैसा देश बना दिया नरेंद्र मोदी जी आपने? जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को खुले मंच से गालियां दी जा रही और सामने बैठे लोग तालियां पीट रहे हैं। इनपर देशद्रोह लगा दें, यही बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।'
..तेरे कातिल जिंदा हैं
महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार की प्रमुख सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने ट्वीट करते हुए लिखा 'सत्य, अहिंसा को झूठे और हिंसक कभी हरा नहीं सकते। बापू हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं।'
क्या है विवादित बोल ?
बता दें, कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावण भाटा मैदान में आयोजित दो दिवसीय 'धर्म संसद' का आयोजन किया गया था। रविवार को कार्यक्रम के समापन समारोह पर बोलते हुए, धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने कहा, 'इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के माध्यम से राष्ट्र पर कब्जा करना है। हमारी आंखों के सामने उन्होंने 1947 में कब्जा कर लिया था। उन्होंने पहले ईरान, इराक और अफगानिस्तान पर कब्जा किया। फिर, राजनीति के माध्यम से बांग्लादेश और पाकिस्तान पर कब्जा किया। मैं नाथूराम गोडसे को सलाम करता हूं, कि उन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या की। इसके साथ उन्होंने अमर्यादित शब्द का भी इस्तेमाल किया।
रामसुंदर दास ने किया विरोध, कहा- भटक गया आयोजन
हालांकि, ऐसा नहीं था, कि कालीचरण महाराज की टिप्पणी पर वहां मौजूद लोगों में सब समर्थन में ही थे। उनके इस बयान पर कांग्रेस के पूर्व विधायक और छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, 'देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले राष्ट्पिता के खिलाफ इस तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। रामसुंदर दास बोले, इस आयोजन का मकसद जो था, यह अब उससे भटकता नजर आ रहा है। आजादी के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने वाले महात्मा गांधी को देशद्रोही बताया जा रहा है।'
मंच छोड़कर चले गए
रामसुंदर दास यहीं नहीं रुके उन्होंने आयोजक पर भी सवाल खड़े किए। बोले मैं आयोजक से पूछना चाहता था, कि उन्होंने इस तरह के बयान पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई? राष्ट्रपिता के लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा था। मुझे उस पर खेद है। लेकिन, मैं इस आयोजन से खुद को अलग कर रहा हूं। इसके बाद रामसुंदर दास मंच से उठकर चले गए।
विवाद बढ़ने के बाद, जब कालीचरण महाराज की टिप्पणी के बारे में कार्यक्रम के आयोजक नीलकंठ त्रिपाठी से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा, कि वह पूर्व के बयान से पूरी तरह असहमत हैं।
हरिद्वार धर्म संसद में भी विवादित बोल !
गौरतलब है, कि हरिद्वार में भी बीते हफ्ते 17 से 19 दिसंबर को एक 'धर्म संसद' का आयोजन हुआ किया गया था। इसकी अध्यक्षता जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस धर्म संसद में साधु-संतों द्वारा 'हिंदुत्व' को लेकर विवादित और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए भाषण दिए गए थे।