Indian Economy: 15 साल पीछे हुआ देश, अर्थव्यवस्था को फिर से गति देने के लिए उठाने होंगे ये कदम

RBI Report Indian Economy: देश की सुप्रीम बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपने एक हालिया रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना के दंश से उबरने में देश को 15 साल का लंबा फासला तय करना पड़ेगा।

Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-04-30 20:25 IST

देश की अर्थव्यवस्था- पीएम मोदी- Photo - Social Media

RBI Report Indian Economy: साल 2020 में आई कोरोनावायरस (Coronavirus) की वैश्विक महामारी (global pandemic) का दंश आज भी दुनिया के अधिकतर देश भूगत रहे हैं। इसका सबसे ताजा उदाहरण हमारे पड़ोस में बसा दो देश श्रीलंका (Sri Lanka) और नेपाल (Nepal) है। भारत की स्थिति भी उत्साहजनक नहीं है। महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्या हमारे अर्थव्यवस्था (economy) में व्यापत संकट को बयां करते हैं। देश की सुप्रीम बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने भी अपने एक हालिया रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है। आरबीआई के रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के दंश से उबरने में देश को 15 साल का लंबा फासला तय करना पड़ेगा।

कोरोना से अर्थव्यवस्था को नुकसान

2020 का मेगा लॉकडाउन (mega lockdown) और उसके बाद छोटे–छोटे लॉकडाउन ने देश के उद्योग जगत की कमर तोड़ कर रख दी। विशेषकर मध्यम औऱ छोटे आकार के उद्योगों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ा है। जो अभी भी सामान्य हालत में नहीं पहुंच पाए हैं। रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि महामारी के कारण भारत ने पिछले तीन साल में 50 लाख करोड़ का आउटपुट गंवा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, अर्थव्यवस्था को 2020-21 में 19.1 लाख करोड़ रूपये, 2021-22 में 17.1 लाख करोड़ रूपये और 2022 – 23 में करीब 16.4 लाख करोड़ रूपये के बराबर आउटपुट का नुकसान होने का अनुमान है। इस नुकसान की भरपाई में 15 साल लग जाएंगे।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया- देश की अर्थव्यवस्था: Photo - Social Media

उबरने की रफ्तार सुस्त

आरबीआई के रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के तीन साल होने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियां मुश्किल से कोविड के पहले वाले हालत में पहुंच पाई हैं। देश की आर्थिक रिकवरी (country's economic recovery) महामारी के झटकों के अलावा गहरी संरचनात्मक चुनौतियों का सामना भी कर रही है। रिपोर्ट में रूस और यूक्रेन युद्ध के असर का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है कि इसके कारण भी आर्थिक रिकवरी की रफ्तार सुस्त हुई है। जंग के कारण कमोडिटी की कीमतों में उछाल, वैश्विक आर्थिक परिदृष्य कमजोर होने औऱ सख्त वैश्विक वित्तीय हालत ने भी समस्याएं उत्पन्न की है।

स्थिति में सुधार के लिए उठाने होंगे ये कदम

सुप्रीम बैंक ने अपनी रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। रिपोर्ट कहती है कि भारत के लिए मध्यम अवधि में 6.6 – 8.5 फीसदी की ग्रोथ रेट रहना अनिवार्य है। इसे पाने के लिए संरचनात्मक सुधार एवं कीमतों में स्थिरता का होना जरूरी है। आरबीआई ने कई संरचनात्मक सुधारों का सुझाव दिया है।

इनमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्चे को बढ़ाना, स्किल इंडिया मिशन के जरिए श्रम की गुणवता में सुधार लाना, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी (Innovation and Technology) पर केंद्रित शोध को बढावा देना औऱ मुकदमेबाजी के झंझट को समाप्त करना शामिल है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के लिए बेहतर माहौल बनाने, सब्सिडी को तर्कसंगत करने और आवासीय एवं भौतिक ढांचे में सुधार लाने का सुझाव दिया गया है।

बता दें कि केंद्र सरकार महंगाई और बेरोजगारी समेत कई अन्य आर्थिक मुद्दों को लेकर विपक्ष के निशाने पर है। देश की आर्थिक हालत कोरोना से पहले ही डवांडोल थी, कोरोना के बाद ये और चुनौतीपूर्ण स्थिति में पहुंच चुकी है। ऐसे में देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार क्या रिजर्व बैंक के इन महत्वपूर्ण सुझावों पर गौर फरमाती है।

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