सुशील कुमार को रास नहीं आ रहा जेल का खाना, डाइट बढ़ाने की मांग

सागर धनखड़ की हत्या के मामले में सलाखों के पीछे पहुंचे ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को जेल का खाना रास नहीं आ रहा है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-06-05 15:16 IST

पहलवान सागर धनखड़ हत्या का आरोपी सुशील कुमार की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Wrestler Murder Case: पहलवान सागर धनखड़ की हत्या के मामले में सलाखों के पीछे पहुंचे ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को जेल का खाना रास नहीं आ रहा है। सुशील कुमार को तिहाड़ की मंडोली जेल में रखा गया है। यहां उन्हें मिल रही आठ रोटियां, दो कप चाय और चार बिस्कुट कम पड़ रहा है। इस संदर्भ में सुशील कुमार ने जेल अधिकारियों से बात करते हुए कहा है कि अन्य कैदियों को दिए जा रहे खाने से उनका पेट नहीं भर रहा है। साथ ही वह एक रेस्लर हैं इसलिए उन्हें एक्स्ट्रा प्रोटीन और अधिक खाना चाहिए। बताया जा रहा है कि जरूरत पड़ी तो सुशील कुमार खाने के लिए कोर्ट से भी अनुरोध कर सकते हैं।

कोरोना की जांच रिपोर्ट आई निगेटिव

सुशील कुमार की कोरोना की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। जेल प्रशासन के मुताबिक जेल में लाने से पहले पहलवान सुशील कुमार की कोरोना जांच नहीं कराई गई थी। हालांकि यहां लाने के बाद उनकी कोविड जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है।

सूत्रों की मानें तो विचाराधीन कैदी सुशील कुमार बुधवार रात को खाने के संदर्भ में किसी से कोई बात नहीं की। लेकिन गुरुवार की शाम को उन्होंने कहा कि जेल में जो खाना मिल रहा है, वह उनके लिए पर्याप्त नहीं है। उन्हें और खाने की आवश्यकता है। सााि ही उन्हें और प्रोटीन वाला डाइट चाहिए। चूंकि वह रेसलर है इसलिए सामान्य खुराक वाला खाना उनके लिए अपर्याप्त है। उन्हें अपने शरीर को मेंटेन रखने के लिए कुछ एक्स्ट्रा चाहिए। बताया जा रहा है जरूरत पड़ने पर वह इसके लिए कोर्ट से भी अनुरोध कर सकते हैं।

सूत्रों की मानें तो हत्या के आरोपी पहलवान सुशील कुमार को जिस जेल नंबर 15 में रखा गया है वह मंडोली की हाई रिस्क जेल मानी जाती है। खबरों की मानें तो सुशील कुमार को 100 से अधिक सेल वाली इस जेल एक सेल में अकेले रखा गया है। इनके साथ किसी अन्य कैदी को नहीं रखा गया है, जिससे इनको किसी तरह का खतरा न होने पाए। जानकारों की मानें तो जेल प्रशासन कोरोना के चलते अन्य कैदियों को 14 दिनों के लिए मंडोली की जेल में रखते हैं। चूंकि यह मामला ओलंपिक पदक विजेता से जुड़ा हुआ है इसलिए जेल प्रशासन कोई रिस्क नहीं लेना चाह रही है।

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