Tokyo Olympic: साथियान गणानाशेखरन के बारे में जानें

साथियान गणानाशेखरन इस बार टोक्यो ओलंपिक के लिए पूरी तरह तैयार हैं...

Written By :  Ragini Sinha
Update:2021-07-25 00:06 IST

साथियान गणानाशेखरन के बारे में जानें (social media)

Sathiyan Gnanasekaran Biography : भारतीय टेबल टेनिस स्टार जी साथियान ने 82वीं सीनियर नेशनल टेबल टेनिस चैंपियनशिप में शरथ कमल को 4-2 से हराकर पहली बार राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया। उन्होंने खिताबी मुकाबले में नौ बार के चैंपियन शरथ को 11-6, 11-7, 10-12, 7-11, 11-8, 11-8 से हराया। साथियान को खिताबी जीत के लिए दो लाख 50 हजार रुपये की इनामी राशि मिली।

जानें साथियान गणानाशेखरन के बारे में

साथियान गणानाशेखरन चेन्नई नगर से आने वाले एक भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं। अप्रैल 2018 के अनुसार वे विश्व रैंकिंग में 48वें स्थान पर हैं। उन्होंने गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों की टीम स्पर्धा में अचंत शरत कमल, एंथोनी अमलराज, सनिल शेट्टी तथा हरमीत देसाई के साथ स्वर्ण, पुरुष युगल स्पर्धा में अचंत शरत कमल के साथ रजत और मनिका बत्रा के साथ मिश्रित युगल स्पर्धा का कांस्य पदक जीता।

खिताब जीतने के बाद क्या बोले साथियान

खिताब जीतने के बाद कहा, 'तीसरी बार में मैं भाग्यशाली रहा। मेरे कंधे से बड़ा बोझ उतर गया। यह अच्छा मुकाबला था और वह जीत का हकदार था।'

साथियान अपने कोच एस रमन के गले लगकर रोने लगे

राष्ट्रीय चैंपियन बनते ही साथियान अपने कोच एस रमन के गले लगकर रोने लगे। चार बार के राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके रमन की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। दरअसल यह रमन ही हैं जिन्होंने साथियान के लिए पिछले कुछ वर्षों में कोच की ही नहीं बल्कि पिता की भूमिका भी निभाई है। पांच वर्ष पहले ही साथियान के पिता ज्ञानशेखरन की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। ज्ञानशेखर अपने बेटे को टेबल टेनिस में सफल होते देखना चाहते थे, लेकिन उनके सामने सथियन राष्ट्रीय चैंपियन तक नहीं बने।

सथियन के पिता सेवानिवृति के कुछ समय बाद ही कैंसर का शिकार हो गए 

साथियान ने पिता की मृत्यु के बाद अपनी दो बहनों में से एक की शादी की और वह इस वक्त मां का सहारा बने हुए हैं। रमन खुलासा करते हैं सथियन के पिता सेवानिवृति के कुछ समय बाद ही कैंसर का शिकार हो गए और दो माह में उनकी मृत्यु हो गई। सथियन उस वक्त टूट सा गया था, लेकिन यहां से उसने अपने को टेबल टेनिस में झोंक दिया। तभी वह उसे हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झंडे गाडने के लिए प्रेरित करते रहे। यही कारण है कि इस राष्ट्रीय खिताब को जीतकर वह भावुक हो गए और साथियान भी अपने पिता को यादकर रो पड़े। रमन के मुताबिक साथियान ने इस खिताब को अपने पिता को समर्पित किया है।

साथियान ने एरीना में चल रहे मुकाबले में पहले दो राउंड अपने नाम किए

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले साथियान ने लुसैल स्पोर्ट्स एरीना में चल रहे मुकाबले में पहले दो राउंड अपने नाम कर लिए थे लेकिन इसके बाद शरत कमल ने तेज़ी दिखाते हुए खेल में वापसी की।

साथियान ने छठे गेम को 11-9 से जीता 

साथियान ने छठे गेम को 11-9 से जीता और मुकाबले को फाइनल तक ले गए। हालांकि इस खिलाड़ी ने अपनी लय का नमूना पेश किया और गेम को 8-3 तक ले गए। शरत भी कहां पीछे रहने वाले थे और उन्होंने ज़बरदस्त प्रदर्शन दिखाते हुए गेम को 8-8 से बराबर कर दिया।

ऐसा रहा उनका करियर

साथियान पढ़ाई और खेल को एक साथ पूरा नहीं कर पा रहे थे। इसको लेकर उनके खेल पर असर पर रहा था। 2012 के अंत में उनका करियर ऊंचाइयों पर पहुंचा। उस साल उन्होंने पूर्ण शांति के तीन क्षणों ने उनके करियर को बढ़ावा मिला।

  • राज्य सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त करना के बाद साथियान को पूरी तरह से TT खेलने पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
  • ONGC जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में नौकरी हासिल करना, जो टेबल टेनिस में साथियान की गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रहे थे। नौकरी ने उनके परिवार को संतुष्ट करने के साथ-साथ उन्हें अपने जुनून को पूरी तरह से आगे बढ़ाने की अनुमति दी।
  • उन्होंने पूर्व भारतीय पैडलर और टीटी कोच सुब्रमण्यम रमन से मुलाकात। इससे उन्हें सही दिशा मिली।
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