न्‍यायपालिका के इतिहास में मिसाल: देश के पहले समलैंगिक जज बनेंगे सौरभ कृपाल, SC कॉलेजियम ने दी मंजूरी

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-11-16 09:27 IST

देश के पहले समलैंगिक जज बनेंगे सौरभ कृपाल। (Social Media)

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण (Chief Justice N. V. Ramana) की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल (Advocate Saurabh Kripal) को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त (Appointed Judge of Delhi High Court) करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सबसे बड़ी बात ये है कि वह देश के पहले समलैंगिक जज (country's first gay judge) हो सकते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में कृपाल की प्रस्तावित नियुक्ति उनकी कथित यौन अभिरूचि के कारण विवाद का विषय थी। ये फैसला न्‍यायपालिका के इतिहास में भी एक मिसाल बन सकता है।

इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से बयान जारी है, जिसमें बताया गया है कि 11 नवम्‍बर को कोलेजियम की बैठक हुई थी। जिसमें उनके नाम पर सिफारिश की गई। इससे पहले इस साल मार्च में में भारत के पूर्व मुख्‍य न्‍यायधीश एसए बोबडे (Former Chief Justice SA Bobde) ने केंद्र सरकार से सौरभ कृपाल (Advocate Saurabh Kripal) को जज बनाये जाने को लेकर पूछा था कि सरकार इस बारे में अपनी राय स्‍पष्‍ट करे।

2017 में कृपाल को जज बनाने की गई थी सिफारिश

कृपाल को 2017 में तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल (Acting Chief Justice Geeta Mittal) के नेतृत्व में दिल्ली उच्च न्यायालय के कॉलेजियम (Delhi High Court Collegium) द्वारा पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि, केंद्र ने कृपाल की कथित यौन अभिरूचि का हवाला देते हुए उनकी सिफारिश के खिलाफ आपत्ति जताई थी। सिफारिश पर विवाद और केंद्र द्वारा कथित आपत्ति को लेकर पिछले चार वर्षों से कई अटकलें लगाई जा रही थीं।

इसके अलावा, कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में न्यायाधीशों के रूप में चार वकीलों तारा वितास्ता गंजू, अनीश दयाल, अमित शर्मा और मिनी पुष्करणा की पदोन्नति के लिए अपनी पिछली सिफारिश को दोहराने का भी संकल्प लिया है। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए बयानों के अनुसार, कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने 11 नवंबर की बैठक में पुनर्विचार कर अधिवक्ता सचिन सिंह राजपूत को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के लिए अपनी पूर्व की सिफारिश को दोहराने का संकल्प लिया है।

एक बयान में कहा गया है कि कॉलेजियम ने शोबा अन्नम्मा ईपन, संजीता कल्लूर अरक्कल और अरविंद कुमार बाबू को केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के लिए अपनी पिछली सिफारिश को दोहराने का भी संकल्प लिया। बयानों के अनुसार, कॉलेजियम ने न्यायिक अधिकारी बी एस भानुमति और अधिवक्ता के मनमाधा राव को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। प्रधान न्यायाधीश के अलावा, न्यायमूर्ति यू यू ललित (Justice U U Lalit) और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (Justice A M Khanwilkar) उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित मामलों पर गौर करने वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा हैं।

कौन हैं सौरभ कृपाल

सौरभ कृपाल (Advocate Saurabh Kripal), जस्टिस बी एन कृपाल के बेटे हैं जो मई 2002 से नवंबर 2002 तक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 31 वें मुख्य न्यायाधीश थे। सौरभ कृपाल (Advocate Saurabh Kripal) , दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के सेंट स्टीफेंस कॉलेज (St. Stephen's College) से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स है। बीएससी की पढ़ाई के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से लॉ (Law from University of Oxford) की पढ़ाई की।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज (University of Cambridge) से उन्होंने लॉ में मास्टर की डिग्री ली। भारत आने से पहले जेनेवा में यूनाइटेड नेशंस के लिए कुछ समय तक काम किया था। लॉ प्रैक्टिस के क्षेत्र में उन्हें करीब दो दशक पुराना अनुभव है। खास तौर से वो सिविल, वाणिज्यिक और संवैधानिक मामलों को देखते रहे हैं। सौरभ कृपाल, खुले तौर पर एलजीबीटी समाज के प्रति अपनी राय रखते रहे हैं और कई केस को अदालत की दहलीज तक ले गए।

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