खालिस्तानी आतंकियों को हथियार मुहैया कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश, दो बदमाश गिरफ्तार

खालिस्तानी आतंकियों को सोशल मीडिया के जरिए अवैध हथियार मुहैया कराने वाले दो बदमाशों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-08-26 16:19 GMT

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किए दो बदमाश (फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को बड़ी कामयाबी मिली है। खालिस्तानी आतंकियों को सोशल मीडिया के जरिए अवैध हथियार मुहैया कराने वाले दो बदमाशों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया है। इन बदमाशों के पास से 18 पिस्टल और 60 कारतूस बरामद हुए हैं। पहली बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खालिस्तानी आतंकियों को हथियार सप्लाय होने के इस रेकैट का खुलासा किया गया है।

खालिस्तानी आतंकियों अवैध हथियार मुहैया कराने वाले जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उनका नाम राजेंद्र सिंह बरनाला और बबलू सिंह है। फिलहाल आरोपियों से पूछताछ जारी है।

इस बारे में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव ने बताया कि हमने कुछ लोगों की गतिविधियों का पता लगाया, जो तीन महीने पहले सोशल मीडिया पर देखी थी। ये सोशल मीडिया के जरिए खालिस्तानियों को हथियार सप्लाई कर रहे थे। जांच के बाद हमने पाया कि वे मध्यप्रदेश के खरगोन के रहने वाले थे। हमने उन्हें कल रात दिल्ली के रोहिणी में गिरफ्तार किया।

आगे डीसीपी ने कहा कि पूछताछ में पता चला कि इन हथियारों का निर्माण खरगोन में किया गया था और वर्चुअल नंबरों का उपयोग करके अन्य राज्यों और खालिस्तानियों को आपूर्ति की गई थी। वे हर महीने औसतन 100-125 हथियार बेचते थे। वहीं एक और आरोपी की तलाश जारी है।

ऐसे हुआ खुलासा

दरअसल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर टेक्नोलॉजी की मदद से अपनी एक अलग पहचान बनाई। जिसमें कुछ समय बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू किया। 

इससे पता चला कि अब खालिस्तानी आतंकी पाकिस्तान से हथियार आसानी से नही ले पा रहे हैं। फिर बाद में उन्होंने मध्यप्रदेश के हथियार सप्लायरों से साठगांठ करना शुरू की।

जानकारी देते हुए बता दें, कि बीते एक साल से पकड़े गए आरोपी बबलू सिंह औऱ राजेन्द्र सिंह बरनाला से हथियार और कारतूस खरीदने लगे। ये लोग इस हथियारों का इस्तेमाल पंजाब और अन्य कई ठिकानों में खालिस्तानी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए देते थे। इसके अलावा इनका इस्तेमाल कांट्रेक्ट किलिंग में भी किया जाता था।



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