किराएदार ना भूले औकात, मकान का असली हकदार मालिक-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही एक बार फिर ये साफ हो गया कि मकान मालिक ही किसी मकान असली मालिक है।

Update:2021-04-01 13:20 IST

नई दिल्‍ली : किराए पर रहने वाले लोग मकान खाली करने में आनाकानी करते हैं। एक किराएदार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिसके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों पर पत्‍थर नहीं मारते। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही एक बार फिर ये साफ हो गया कि मकान मालिक ही किसी मकान असली मालिक है। किराएदार चाहे जितने भी दिन किसी मकान में क्‍यों न रह ले उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि वह मात्र एक किराएदार है।

राहत देने से इनकार

एक याचिका में जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए किराएदार दिनेश को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया और आदेश दिया कि उन्‍हें परिसर खाली करना ही पड़ेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने बकाया किराया देने के भी आदेश जारी किए।

भुगतान भी तुरंत

किराएदार के वकील दुष्‍यंत पाराशर ने पीठ से कहा कि उन्‍हें बकाया किराए की रकम जमा करने के लिए वक्‍त दिया जाए। इस पर कोर्ट ने किराएदार को मोहलत देने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से आपने इस मामले में मकान मालिक को परेशान किया है उसके बाद कोर्ट किसी भी तरह की राहत नहीं दे सकता। आपको परिसर भी खाली करना होगा और किराए का भुगतान भी तुरंत करना होगा।

मामला 3 पहले

बता दें कि किराएदार ने करीब तीन साल से मकान मालिक को किराए की रकम नहीं दी थी और न ही वह दुकान खाली करने के पक्ष में था। आखिरकार दुकान मालिक ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। निचली अदालत ने किरायेदार को न केवल बकाया किराया चुकाने बल्कि दो महीने में दुकान खाली करने के लिए कहा था। इसके साथ ही वाद दाखिल होने से लेकर परिसर खाली करने तक 35 हजार प्रति महीने किराये का भुगतान करने के लिए भी कहा था। इसके बाद भी किरायेदार ने कोर्ट का आदेश नहीं माना।

9 लाख रुपये जमा करने के लिए 4 माह का समय

पिछले साल जनवरी में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने किरायेदार को करीब नौ लाख रुपये जमा करने के लिए चार महीने का समय दिया था, लेकिन उस आदेश का भी किरायेदार ने पालन नहीं किया। इसके बाद किराएदार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां से भी उसकी याचिका खारिज करते हुए दुकान तुरंत खाली करने के आदेश जारी किए गए।

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