OROP पर SC से केंद्र को राहत, बकाया पेंशन का भुगतान हो सकेगा किश्तों में...लिव इन रिलेशनशिप पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा

Supreme Court: सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बंद लिफाफे में एक नोट पेश किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने लेने से मना कर दिया।

Update: 2023-03-20 15:49 GMT
सुप्रीम कोर्ट: CJI ने ‘बंद लिफाफे में जवाब वाले कल्चर’ पर की तल्ख टिप्पणी, बोले –यह निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया के खिलाफ: Photo- Social Media

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी सोमवार 20 मार्च को दो अहम मामलों की सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने वन रैंक वन पेंशन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को एरियर यानी बकाया राशि का जल्द भुगतान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि योग्य फैमिली पेंशनर्स और गैलेंट्री अवॉर्ड विजेताओं को 30 अप्रैल 2023 तक एरियर का भुगतान करें।

70 साल से अधिक उम्र के योग्य पेंशनर्स को 30 जून 2023 तक और बाकी सभी योग्य पेंशनर्स को 30 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 से पहले बराबद किश्तों में भुगतान करने करने को कहा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचुड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट (IESM) की याचिका पर ये फैसला सुनाया है। इस बेंच के अन्य सदस्यों में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।

‘बंद लिफाफे में जवाब वाले कल्चर’ पर तल्ख टिप्पणी

सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बंद लिफाफे में एक नोट पेश किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने लेने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि इसे दूसरे पक्ष यानी सेवानिवृत सैनिकों के वकील से भी शेयर करना होगा। सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने बंद लिफाफे में जवाब वाले कल्चर पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि हमें बंद करना होगा।

ये निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया की व्यवस्था के खिलाफ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचुड़ ने इस दौरान कहा कि मैं निजी तौर पर बंद लिफाफों के चलन के विरूद्ध हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए। ये आदेशों को लागू करने के बारे में है, इसमें गोपनीय वाली बात क्या है।

लिव इन को लेकर दायर याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट में लिव-इन रिलेशनशिप के मेंडेटरी रजिस्ट्रेशन की मांग को लेकर दायर याचिका पर भी आज सुनवाई हुई। सीजेआई की बेंच ने इसे मूर्खताभरी याचिका करार देते हुए खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचुड़ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों से केंद्र सरकार को क्या लेना – देना है। उन्होंने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आप इन लोगों की सुरक्षा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं या लिव-इन रोकने की।

गौरतलब है कि पिछले साल दिल्ली में हुए चर्चित श्रद्धा मर्डर केस के बाद ममता रानी नामक एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने की मांग की गई थी ताकि लिव-इन में बढ़ रहे क्राइम को रोका जा सके। मई 2022 में आफताब पूनावाला ने अपने लिव इन पार्टनर श्रद्धा वॉलकर की हत्या कर उसके 35 टुकड़े कर दिए थे। दोनों महाराष्ट्र से आकर दिल्ली में रह रहे थे।

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