New Delhi: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सरोजिनी नगर की झुग्गी बस्तियों के गिराए जाने पर रोक जुलाई के तीसरे सप्ताह तक बढ़ी

New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सरोजिनी नगर की झुग्गी झोपड़ियों को गिराने के लिए लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने आगामी जुलाई माह के तीसरे सप्ताह तक के लिए बढ़ा दिया है।

Report :  Rajat Verma
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-05-02 17:34 IST

सुप्रीम कोर्ट ने सरोजिनी नगर की झुग्गी बस्तियों के गिराए जाने पर लगाई रोक: Photo - Social Media

New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सरोजिनी नगर (Sarojini Nagar) की झुग्गी झोपड़ियों को गिराने के लिए लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने आगामी जुलाई माह के तीसरे सप्ताह तक के लिए बढ़ा दिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जांच के लिए एक नोडल अधिकारी की तैनाती का भी ऐलान किया है, जो वहां रह रहे लोगों के विषय में समस्त आवश्यक जानकारी इकट्ठी कर 10 दिनों के भीतर न्यायालय को रिपोर्ट करेगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के चलते अब मामले में अगली सुनवाई आगामी जुलाई माह के तीसरे सप्ताह में होगी और तबतक सरोजिनी नगर की झुग्गी बस्तियों को तोड़ा (issue of removal of slums) नहीं जाएगा। सरोजिनी नगर की बस्तियों के विध्वंश को रोकने को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के. एम. जोसेफ और न्यायाधीश हृषिकेश रॉय की पीठ ने की।

10वीं की छात्रा ने दायर की थी याचिका

दरअसल, सरोजिनी नगर की झुग्गी में रहने वाली एक 10वीं की छात्रा वैशाली ने मामले में याचिका दायर करते हुए अपनी बोर्ड परीक्षाओं का हवाला दिया था, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने झुग्गी विध्वंश पर रोक लगा दिया गया है।

नोडल अधिकारी की तैनाती

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के सुझाव पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिया है, जिसके द्वारा सरोजिनी नगर क्षेत्र में झुग्गियों में रहने वाले 172 परिवारों के ठहरने की अवधि, परिवार के विवरण, आय की स्थिति, आदि का एकत्र कर सत्यापित करने का काम किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की मानें तो अब मामले में वापस से जांच के आसार हैं, जिसके चलते यह तय किया जा सकेगा की सरोजिनी नगर की झुग्गियों में रहने वाले लोग वैध तरीके से रह रहे हैं अथवा नहीं। इसी के चलते ही केंद्र सरकार के आदेश ओर ही नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है जो कि अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को सौंपेगा।

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