Surgical Mask ke Fayde: वैज्ञानिकों ने शोध में किया खुलासा, सर्जिकल मास्क है बेहतर
Surgical Mask ke Fayde: एक शोध में वैज्ञानिको ने बताया कि सर्जिकल मास्क अन्य मास्क से बेहतर है कोरोना वायरस से बचाव करने में
Surgical Mask ke Fayde: कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का हमें पालन करना बहुत अनिवार्य है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना से बचाव में सर्जिकल मास्क ही सबसे उपयोगी है? यह हम नहीं कह रहे बल्कि वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी के द्वारा यह खुलासा किया है. वैज्ञानिकों ने यह स्टडी बांग्लादेश में की थी. जिसमे वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि यह स्टडी गोल्ड स्टैंडर्ड्स की है और पूरी स्टडी क्लीनिकल ट्रायल की तरह की गयी है.
क्या है स्टडी?:
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से ही यह बात कही जा रही है कि मास्क हमें कोरोना वायरस की चपेट में आने से बचाता है. लेकिन देखा गया है की मास्क के प्रयोग के बावजूद कोरोना के मामले रुके नहीं बल्कि बढ़ते ही गए. वहीं वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया था की मास्क का प्रयोग बहुत जरूरी है जिससे हम खुद को कोरोना से बचा सके.लेकिन बढ़ते मामलो की वजह से वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी किया और यह दावा किया है कि अगर कोरोना संक्रमण से बचना है तो सर्जिकल मास्क का ही प्रयोग करें। ब्राउन यूनिवर्सिटी में इमरजेंसी मेडिसिन फिजिशियन और प्रोफेसर मेगन रैनी ने कहा कि स्टडी के द्वारा हमें पता चला कि सर्जिकल मास्क बाकि अन्य मास्क से बेहतर है. सर्जिकल मास्क ज़्यादा बेहतर तरीके से कोरोना संक्रमण से हमे बचाता है. वही यह भी स्टडी में पाया गया कि कपड़ो के मास्क के इस्तेमाल से लोगो को कई अन्य समस्याएं जैसे सांस लेने मे तकलीफ़ आदि होने लगी थी लेकिन सर्जिकल मास्क का प्रयोग करने वालो में यह समस्या नहीं पायी गयी.
600 गांवों में किया अध्ययन
मेगन ने बताया कि जो साइंटिस्ट इस तरह का अध्ययन कर रहे थे कि किस तरह के मास्क लगाने से कोरोना से कितनी सुरक्षा मिलती है, उनकी स्टडीज पर कई अन्य वजहों से परिणाम नहीं मिल सकें लेकिन अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बांग्लादेश के 600 गांवों में अध्ययन किया और 3.42 लाख लोगो पर स्टडी किया और यह परिणाम मिला कि सर्जिकल मास्क पहनने वाले लोगो ज़्यादा सुरक्षित है. सर्जिकल मास्क (Surgical Mask) को लेकर की गई यह स्टडी नवंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक चली है. इसमें 1.78 लाख लोगों को मास्क के साथ-साथ मेडिकल सपोर्ट भी दिया गया, जबकि बचे हुए 1.64 लाख लोगों को मेडिकल सपोर्ट नहीं दिया गया. लेकिन मास्क लगाने को कहा गया था. मेडिकल सपोर्ट वाले समूह को मुफ्त में सर्जिकल मास्क दिए गए. साथ ही उन्हें मास्क पहनने के फायदे बताए गए. उनके समुदाय के लीडर्स को प्रेरित करने के लिए कहा गया. हर लीडर मास्क पहनने वालों को लगातार 8 हफ्तों तक मास्क लगाने के लिए मोटिवेट करता रहा. 1.64 लाख वाले समूह को किसी तरह का मुफ्त मास्क, मोटिवेशन या मेडिकल सपोर्ट नहीं दिया गया. लेकिन इनकी निगरानी हर हफ्ते की जाती थी. ये देखा जाता था कि कि कितने लोग मास्क लगा रहे हैं? कितने लोग मास्क सही तरीके से लगा रहे हैं? क्या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं? इन सारी बातों का ध्यान दोनों समूहों के साथ रखा गया था. ये ट्रायल शुरू होने के पांचवें और नौवे हफ्ते के बाद ट्रायल्स शुरू किए गए. वैज्ञानिकों ने दोनों समूहों के लोगों में कोरोना के लक्षणों की जांच करनी शुरू की. ट्रायल शुरु होने के 10 से 12 सप्ताह के बीच समूह के सिम्प्टोमैटिक लोगो से खून के सैंपल भी लिए गए. उनके शरीर में कोरोना एंटीबॉडीज की जांच की गई. जिस समूह ने मास्क का सही उपयोग किया था, उसमें सिर्फ 13.3 फीसदी लोगों में संक्रमण मिला. जबकि, जिन लोगों को मास्क नहीं दिए गए थे, वहां पर 42.3 फीसदी लोग कोरोना संक्रमित निकले.