Bismillah Khan : गूंज उठी शहनाई से लालकिले तक का सफर, दर्शन दिए थे बालाजी ने
Bismillah Khan :उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जिनके बारे में यह प्रचलित रहा कि उनके लिए संगीत, सुर और नमाज एक ही चीज थे।
Bismillah Khan : शहनाई के जादूगर या मास्टर या उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Bismillah Khan) जिनके बारे में यह प्रचलित रहा कि उनके लिए संगीत, सुर और नमाज एक ही चीज थे। वह मंदिरों में शहनाई बजाते थे। सरस्वती के उपासक थे और गंगा से उन्हें बेपनाह लगाव था। साथ ही वह पांच वक्त नमाज पढ़ते थे। जकात देते थे और हज करने भी जाया करते थे। उनका मानना रहा कि संगीत किसी भी नमाज या प्रार्थना से बढ़कर है।
यही वजह रही कि उनके संगीत का यही गुण श्रोताओं को उनसे जोड़ता रहा। एक खास बात बिस्मिल्लाह खां ने अपने जीवन काल में दो बार लालकिले से शहनाई बजाई पहली बार 1947 में देश के आजाद होने पर पं. जवाहर लाल नेहरू की इच्छा का सम्मान कर और दूसरी बार 1997 में आजादी की पचासवीं सालगिरह पर।
बिस्मिल्लाह खान बनारस के बालाजी मंदिर में रियाज करते थे। वह सुबह साढ़े तीन बजे से रियाज शुरू कर दिया करते थे। गंगा से बाला जी मंदिर तक वह 508 सीढ़ियां चढ़कर जाया करते थे। जब इन्हें रियाज़ करते हुए साल भर हो गया तो एक दिन इनके मामूजान इनसे कहने लगे कि अगर कुछ देखना तो किसी से कुछ कहना मत। बिस्मिल्लाह खान की उम्र उस समय दस-बारह साल की थी।
अब ये उम्र का असर या नादानी बिस्मिल्लाह खान को समझ में नहीं आया वह क्या कहना चाहते हैं। उन्होंने खुद बताया है कि एक रोज़ हम बड़े मूड में बजा रहे थे....कि अचानक मेरी नाक में एक ख़ुशबू आई। हमने दरवाज़ा बंद किया हुआ था जहाँ हम रियाज़ कर रहे थे। हमें फिर बहुत ज़ोर की खुशबू आई। देखते क्या हैं कि हमारे सामने बाबा खड़े हुए हैं...हाथ में कमंडल लिए हुए। मुझसे कहने लगे बजा बेटा... मेरा तो हाथ कांपने लगा। मैं डर गया। मैं बजा ही नहीं सका। अचानक वो ज़ोर से हंसने लगे और बोले मज़ा करेगा, मज़ा करेगा... और वो ये कहते हुए ग़ायब हो गए।" इस घटना को जब उन्होंने मामूजान को बताना चाहा तो उन्होंने समझ लिया कि इसे साक्षात्कार हो गया है लेकिन उन्होंने सुने बिना इशारे से चुप करा दिया और कहा कि किसी से बताना मत।
बिस्मिल्लाह खान का एक किस्सा और मशहूर है वह बॉलीवुड से जुड़ा हुआ है। वसंत देसाई ने एक फिल्म बनाई थी गूंज उठी शहनाई और इस फिल्म में प्रसिद्ध शास्त्रीय वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई के टुकड़े भी शामिल हैं, जिसमें एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक आमिर खान द्वारा मुखर प्रस्तुतिकरण शामिल हैं। इस फिल्म के फिल्मकार छायाकार प्रवीण भट्ट के पिता और फिल्म निर्माता के दादा विक्रम भट्ट थे।
गूंज उठी शहनाई विजय भट्ट द्वारा निर्देशित 1959 की हिंदी फिल्म है, जिसमें राजेंद्र कुमार, अमीता, अनीता गुहा और आई.एस. जौहर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म एक शहनाई वादक की कहानी बयां करती है, और पूरी फिल्म में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई गूंजती है। उनके और सितार वादक अब्दुल हलीम जफर खान के बीच जुगलबंदी भी है। इस फिल्म में वसंत देसाई ने बिस्मिल्लाह खान की कजरी, दादरा, पहाड़ी, जयजयवंती, भैरवी के अलावा अमीर खान की आवाज में राग माला भी गवाया। बिस्मिल्लाह खान और अब्दुल हलीम जफर खान के बीच राग केदार में शहनाई और सितार की जुगलबंदी का भी प्रयोग किया।
यह फिल्म वर्ष की पांचवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी और बॉक्स ऑफिस इंडिया पर "हिट" घोषित की गई थी, और अभिनेता राजेंद्र कुमार की पहली बड़ी हिट बन गई, जो जल्द ही हस्ताक्षर करने के दिन से चार साल की तारीखें दे रहे थे। 21 अगस्त 2006 को इस महान कलाकार की यात्रा को विराम लग गया। लेकिन उनकी शहनाई की गूंज आज भी उन्हें हमारे सामने ले आती है।