Vaccination: देश में कोरोना वैक्सीनेशन (India Vaccination) की रफ़्तार थोड़ी धीमी पड़ गयी है। जून के आखिरी दस दिनों की अपेक्षा जुलाई के पहले दस दिनों में दैनिक वैक्सीनेशन काफी घटा है। पहली जुलाई से 10 जुलाई के बीच 40 लाख 3 हजार डोज़ औसतन रोजाना लगाई गईं हैं। जबकि 21 से 30 जून के बीच ये आंकड़ा 55 लाख 7 हजार डोज़ का था। साप्ताहिक औसत की बात करें तो प्रतिदिन डोज़ का औसत 10 जुलाई को 40 लाख 54 हजार हो गया था। सबसे अधिक कमी राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में दर्ज की गयी है जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब में वैक्सीनेशन का औसत बढ़ा है। 31 दिसंबर तक सभी व्यस्कों को वैक्सीन लगा देने के लिए अब बाकी के दिनों में रोजाना औसतन 80 लाख 65 हजार डोज़ लगानी होंगी।
भारत में वैक्सीनेशन का आकंड़ा
अभी तक देश की जनसंख्या के सिर्फ 7.7 फीसदी को फुल वैक्सीन लग पाई है जबकि 32.1 फीसदी लोगों को कम से कम एक डोज़ लग चुकी है। पांच राज्यों में पांच फीसदी से भी कम लोगों को दोनों डोज़ लग पाई हैं। 11 जुलाई को मात्र 13.3 लाख खुराकें लगीं जो 30 मई के बाद सबसे कम हैं। अभी देश में तीन कोरोना वायरस वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनमें कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक शामिल हैं। कोविशील्ड का उपयोग सबसे ज्यादा हो रहा है।
दिल्ली में वैक्सीन खत्म (Vaccine Stock Shortage)
राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना वायरस वैक्सीन कोविशील्ड खत्म हो गई और इसके कारण 13 जुलाई को कई सरकारी वैक्सीनेशन केंद्र बंद रहे। दिल्ली में पिछले रविवार से ही खुराकें कम थीं और इसी कारण 12 जुलाई को रात 10 बजे तक मात्र 36,310 खुराकें लगाई जा सकीं। अन्य राज्य भी वैक्सीन की कमी का सामना कर रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए वैक्सीन की कमी के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, दिल्ली में वैक्सीन फिर खत्म हो गई है। केंद्र सरकार एक-दो दिन की वैक्सीन देती है, फिर हमें कई दिन वैक्सीन केंद्र बंद रखने पड़ते हैं। केंद्र सरकार की क्या मजबूरी है? इतने दिन बाद भी हमारे देश का वैक्सीन प्रोग्राम लड़खड़ा कर क्यूं चल रहा है?
दरअसल, वैक्सीनेशन अभियान के युवाओं के लिए खुलने के बाद से दिल्ली में कई बार वैक्सीन की कमी हो चुकी है। दिल्ली सरकार बार-बार केंद्र को खुराकें कम पड़ने का अलर्ट भेजती रहती है और उसने केंद्र से अपनी आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध भी किया है, हालांकि अभी तक इसकी सुनवाई नहीं हुई है।
जब दिल्ली में खुराकें होती हैं तो वैक्सीनेशन तेजी से होता है। पिछले 10 दिन में ही 14 लाख खुराकें लगाई जा चुकी हैं। दिल्ली से सटे गुरूग्राम में भी इस हफ्ते वैक्सीन की कमी देखी गई। इस वजह से कई दिनों बाद 13 जुलाई को पहली बार 10,000 से कम लोगों को वैक्सीन की खुराक लगाई गई थी। साथ ही कई वैक्सीनेशन केंद्रों पर सिर्फ दूसरी खुराक दी गई।
महाराष्ट्र में वैक्सीनेशन
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने हाल ही में कहा था कि राज्य सरकार रोजाना 15 लाख लोगों को वैक्सीन लगा सकती है, लेकिन खुराकों की कमी के कारण रोजाना मात्र दो-तीन लाख लोगों को वैक्सीन लग पा रही है। वहीं कोविशील्ड खत्म होने के कारण ओडिशा सरकार को राज्य के 30 में से 24 जिलों में वैक्सीनेशन अभियान रोकना पड़ा है।
कोरोना वायरस वैक्सीन की कमी के कारण ओडिशा सरकार को राज्य के 10 जिलों में वैक्सीनेशन अभियान रोकना पड़ा है। इस महीने यह दूसरी बार है, जब वैक्सीनेशन रोका गया है। अधिकारियों का कहना है कि वैक्सीन की स्टॉक आने के बाद अभियान फिर से शुरू किया जाएगा।
टीकाकरण पर देश के हालात
10 जुलाई को ओडिशा के बालासोर, ढनकेनाल, जाजपुर, कालाहांडी, केंद्रपाड़ा, कोरापुरट, मल्कानगिरी, नयागढ़ और सोनेपुर आदि जिलों में वैक्सीनेशन अभियान रोक दिया गया। हालांकि, बाकी जिलों में 308 केंद्रों पर लोगों को वैक्सीन की खुराक लगाई जा रही है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) पीके मोहपात्रा ने बताया कि स्टॉक मिलने के बाद वैक्सीनेशन अभियान तेज किया जाएगा। वैक्सीनेशन को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और बेहतर सामंजस्य के चलते खुराकों की बर्बादी भी बंद हुई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैक्सीनेशन केंद्रों के बाहर लंबी लाइन लगती हैं। अगर वैक्सीनेशन बंद न किया जाता और रोजाना थोड़ी-थोड़ी खुराकें दी जाती तो इससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। इस परेशानी से बचने के लिए वैक्सीनेशन बंद किया गया है। उन्होंने कहा कि इस महीने ओडिशा को कम से कम 31 लाख खुराकों की जरूरत है। फिलहाल राज्य के पास कोविशील्ड की लगभग 60,000 और कोवैक्सिन की 3.93 लाख खुराकें बची हैं।
वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के बाद एक बार फिर राज्य सरकारें वैक्सीन की कमी की बात कह रही हैं। इससे पहले अप्रैल-मई में भी वैक्सीन की भारी कमी महसूस की गई थी। मई में कई राज्यों ने खुराकों की कमी के चलते वैक्सीनेशन अभियान रोक दिया था। महामारी की दूसरी लहर के बीच घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगाई थी। इसके बावजूद पर्याप्त मात्रा में खुराकें उपलब्ध नहीं हैं।
21 जून से केंद्र सरकार ने वैक्सीन नीति में बड़ा बदलाव किया है। पहले जहां राज्यों को सीधी कंपनियों से वैक्सीन खरीदनी होती थी, वहीं 21 जून से यह काम केंद्र सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है। अब केंद्र सरकार कंपनियों से वैक्सीन की खुराकों की खरीद करती है और फिर राज्यों को इनका वितरण किया जाता है। निजी अस्पताल अब भी पहले की तरह वैक्सीन कंपनियों से खुराकें खरीद सकते हैं।
सरकार ने जुलाई मध्य से रोजाना कोरोना वायरस वैक्सीन की एक करोड़ खुराकें लगाने का लक्ष्य रखा था, जो मौजूदा गति से बहुत दूर दिख रहा है।