Weather News: मौसम की मार, मार्च में ही पारा 40 के पार

Weather News: एक अध्ययन के अनुसार, महासागरों में 1980 के दशक में जितने ठंडे दिन थे, अब उनमें केवल 25 प्रतिशत का ही अनुभव होता है, और ठंड के दौर लगभग 15 प्रतिशत कम तीव्र होते हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  aman
Update:2022-03-21 12:58 IST

उत्तर भारत में पड़ेगी भीषण गर्मी। 

Weather News : देश के कई हिस्सों में इस साल मार्च के मध्य में ही भीषण गर्मी का एहसास होने लगा है और पारा 40 डिग्री से पार जाने लगा है। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई इलाकों में तापमान सामान्य से ऊपर बना हुआ है। राजस्थान के कई जिलों में तापमान अभी 40 डिग्री से पार चला गया है। वहीं उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र, विदर्भ, पश्चिमी मध्य प्रदेश और तेलंगाना के कई हिस्सों में गर्म हवाएं लोगों को परेशान कर रही हैं।

यही नहीं, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में भी तापमान में इजाफा देखा गया है। यहां कई जगहों पर अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। 19 मार्च को भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा दिल्ली में अधिकतम तापमान 36.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से छह डिग्री अधिक था। मध्य प्रदेश में उच्चतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और ओडिशा में इस गर्मी में पहली बार उसी दिन पारा 41 डिग्री सेल्सियस को छू गया था।

तटवर्ती इलाकों में चल रही लू  

मैदानी इलाकों में तो तेज गर्मी है ही, इस बार तटीय इलाकों में चल रही लू ने हैरानी में डाल दिया है। मिसाल के तौर पर मुंबई में पिछले कुछ दिनों से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। आंध्र और कर्नाटक के तटवर्ती इलाकों में भी यही हाल है। मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री, पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री और तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री से अधिक होने पर संबंधित इलाकों को लू की चपेट में माना जाता है।

क्यों बढ़ रहा पारा?

आईएमडी ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि पश्चिमी और मध्य भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान की संभावना है और दक्षिण गुजरात से महाराष्ट्र तक ओडिशा तक  हीटवेव की स्थिति बन रही है। आईएमडी के महानिदेशक, मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि सामान्य से अधिक तापमान इन क्षेत्रों में हवा के प्रवाह के पैटर्न के कारण है। उन्होंने कहा, कि जहां भारी गर्मी पड़ रही है उन क्षेत्रों में निचले स्तर की हवाएं दक्षिण से उत्तर की ओर होती हैं। यह जमीन से गर्म हवा लाती हैं। सौराष्ट्र, कच्छ और राजस्थान के लिए भी लू की वजह दक्षिणी हवाएं हैं। अन्य मौसम विज्ञानियों का मानना है, कि जलवायु परिस्थितियों का आकलन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले वैश्विक मानकों के अनुसार इस साल गर्मी अधिक गर्म होने वाली है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि जैसे-जैसे वातावरण और महासागर गर्म होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे समुद्री ठंड कम तीव्र और कम होती जा रही है।

अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महासागरों में 1980 के दशक में जितने ठंडे दिन थे, अब उनमें से केवल 25 प्रतिशत का ही अनुभव होता है, और ठंड के दौर लगभग 15 प्रतिशत कम तीव्र होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि पिछले एक दशक में, विश्व स्तर पर प्रति वर्ष लगभग 10 दिन ठंड का प्रकोप हुआ है, जो 1985 में प्रति वर्ष लगभग 40 दिनों से एक उल्लेखनीय गिरावट है।

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