One Nation, One Time: भारत के अपने जीपीएस से होगा एक राष्ट्र, एक समय

One Nation, One Time: भारत ने 29 जनवरी को अपने स्वदेशी रॉकेट के ज़रिए एक नए नेविगेशन उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया है।;

Report :  Neel Mani Lal
Update:2025-01-30 15:29 IST

One Nation, One Time

One Nation, One Time: भारत ने 29 जनवरी को अपने स्वदेशी रॉकेट के ज़रिए एक नए नेविगेशन उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया है। इसका उद्देश्य अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), चीन के बेईडू, यूरोप के गैलीलियो और रूस के ग्लासनॉस के जवाब के रूप में भारतीय पोजीशनिंग सेवाएँ प्रदान करना है।

भारत द्वारा भेजा गया उपग्रह भारतीय नक्षत्र सिस्टम (NavIC) से लैस है। इसे भारत और आस-पास के क्षेत्रों में पोजीशनिंग सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसरो का यह 100वाँ प्रक्षेपण ऐसे समय में हुआ है, जब हर देश उपग्रह नेटवर्क का विस्तार करने की होड़ में हैं।

एटोमिक घड़ी

- भारत द्वारा भेजे गए उपग्रह में स्वदेशी परमाणु घड़ी शामिल है। भारत पहले भी एक परमाणु घड़ी भेज चुका है।

- भारतीय नक्षत्र सिस्टम (NavIC) में कई एप्लीकेशन्स हैं जो रणनीतिक उपयोगों, शिपिंग जहाजों की ट्रैकिंग, टाइम कोआर्डिनेशन, ट्रेन ट्रैकिंग और जीवन सुरक्षा अलर्ट से जुड़े हैं।

- भारत वर्तमान में टाइम नापने के लिए अमेरिकी जीपीएस उपग्रहों पर निर्भर है। इन उपग्रहों द्वारा इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम को मिलीसेकंड तक निर्धारित किया जाता है और फिर यूनिवर्सल कोऑर्डिनेटेड टाइम (यूसीटी) से जोड़ा जाता है। भारत के उपग्रह के साथ जल्द ही यह निर्भरता समाप्त हो जाएगी और NavIC प्रणाली फ़रीदाबाद में एक प्रयोगशाला को समय संकेत भेजना शुरू कर देगी। इन संदेशों को अहमदाबाद, भुवनेश्वर, बेंगलुरु और गुवाहाटी- परमाणु घड़ियों से लैस चार क्षेत्रीय केंद्रों तक पहुंचाने के लिए ऑप्टिकल फाइबर लिंक का इस्तेमाल किया जाएगा। लैपटॉप, डिजिटल घड़ियाँ और स्मार्टफ़ोन जैसे उपकरण तब इन परमाणु घड़ियों के साथ अपने समय को सिंक्रनाइज़ करेंगे और उन्हें जीपीएस सर्विस प्रोवाइडर्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

- भारत कारगिल युद्ध के बाद एक स्वदेशी प्रणाली बनाना चाहता था, जिसमें विदेशी उपग्रहों से स्थान डेटा तक पहुँचना एक चुनौती साबित हुई।

- परमाणु घड़ियाँ वे हैं जो समय निर्धारित करने के लिए परमाणुओं की फ्रीक्वेंसी का उपयोग करती हैं। उन्हें उनकी सटीकता के कारण चुना जाता है। परमाणु घड़ियाँ लगभग 100 मिलियन वर्षों में एक सेकंड का लॉस करती हैं।

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