Cyber Crime: क्या है साइबर क्राइम ?
Cyber Crime: साइबर क्राइम से संबंधित अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसका एक प्रमुख कारण और भी है की इन अधिकतर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर विदेशों में है। इसके कारण इनकी जड़ तक पहुँच पाना आसान नहीं है। कंप्यूटर और इंटरनेट द्वारा किया गया अपराध साइबर अपराध के इलेक्ट्रॉनिक अपराध के श्रेणी में आता है।
Cyber Crime: आज के समय में इंटरनेट के माध्यम से सोशल नेटवर्किंग, ऑन लाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब , ऑन लाईन प्रवेश परीक्षा, में इंटरनेट का उपयोग लगभग अब हर क्षेत्र में किया जाता है। इससे संबंधित लाभों के कारण साइबर अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसका एक प्रमुख कारण और भी है की इन अधिकतर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर विदेशों में है। इसके कारण इनकी जड़ तक पहुँच पाना आसान नहीं है। कंप्यूटर और इंटरनेट द्वारा किया गया अपराध साइबर अपराध के इलेक्ट्रॉनिक अपराध के श्रेणी में आता है। इसमें कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस के द्वारा देश के गोपनीय दस्तावेज, व्यावसायिक गोपनीय दस्तावेज के डाटा की जानकारी व उसकी चोरी, नेटवर्क के द्वारा जबरन वसूली, क्रेडिट कार्ड बैंक एकाउण्ट के नेटवर्क द्वारा डेटा हैक कर धोखाधड़ी , अवैध डाटा डाउनलोडिंग, साइबर स्टॉकिंग, कंप्यूटर डाटा में वाइरस का प्रसार, सॉफ्टवेयर की चोरी , हैकिंग , पोर्नोग्राफी , बच्चों व महिलाओं पुरुषों को ई मेल- व्हाट्सएप के जरिये तंग करना, ब्लैकमेल करना , पहचान चोरी कर बैंक के रुपये गायब करना , साइड हैक कर वाइरस फैलाना , नेटवर्क के द्वारा कंप्यूटर व मोबाइल को हैक कर लेना , किसी भी व्यक्ति की निजी व्यक्तिगत तौर पर चौबीस घंटे निगरानी करना अवैध रूप से व्यक्तिगत विशेषाधिकार का हनन करना सहित कई प्रकार की चोरी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।
साइबर अपराध न हो इसके लिये जागरुकता व सुधार की आवश्यकता है : → जागरूकता के लिये मानव संसाधन के विभिन्न स्तर पर सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिये भारत सरकार ने सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता परियोजना आरंभ की है। इसी तरह सरकार द्वारा कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम CERT - In की स्थापना की है और देश में साइबर अपराधों से निपटने के लिये साइबर स्वच्छता केंद्र की स्थापना हुई है। जनवरी 2020 में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14C) की स्थापना की गई। गृह मंत्रालय द्वारा पूरे देश में साइबर क्राइम क्षेत्र के रोकथाम के लिये इस योजना के अंतर्गतः घटकों की स्थापना की गई जो संपूर्ण भारत में कार्य करेगी इनके अंतर्गत
1) नेशनल साइबर क्राइम
2) नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
3) संयुक्त साइबर अपराध जाँच दल के लिये मंच
4) राष्ट्रीय साइबर अपराध फोरेंसिक प्रयोगशाला पारिस्थितिकी तंत्र
5) राष्ट्रीय साइबर क्राइम प्रशिक्षण केंद्र
6) साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट
7) राष्ट्रीय साइबर अनुसंधान और नवाचार केंद्र ।
ये सभी घटक देशभर में साइबर क्राइम पर दृष्टि रखें है एवं जागरूकता भी फैला रहे हैं । जैसे- समय-समय पर जनता के मोबाइल पर फ्रॉड से बचने के लिये एस.एम.एस. भारत सरकार , रिर्जव बैंक आदि संस्थानों द्वारा सभी को दि जाती है । मेरा मत है कि जागरूकता के साथ-साथ समाज के लोगों को, बच्चों युवाओं को बेसीक लॉ का ज्ञान होना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धाराएँ कक्षा नौ से एक सामान्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में सम्मलित होने से सभी को ज्ञान होगा और मालुम पड़ेगा की कौन सा अपराध करने से कौन सा दंड अपराधी को मिलेगा और इसका आगे क्या प्रावधान होगा तो निश्चित तौर पर अपराध में कमी आयेगी। जैसे की देखिये भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 में धाराएँ 43, 43ए, 66, 66बी, 66सी, 66डी, 66ई, 66 एफ, 67ए,67बी,70,72,72ए, 74 में हैंकिंग और साइबर अपराध करने से इसके अंतर्गत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद, दंड, या जुर्माने का प्रावधान है। यह ज्ञान समाज के बच्चों, युवाओं सभी को इसका ज्ञान स्पष्ट रूप से हो जाए तो ज्ञान के कारण अपराध कम हो जाते है।
इसका यही निष्कर्ष निकलता है की बेसीक लॉ को पाठ्यक्रम में सम्मलित करें। डिजिटल भारत कार्यक्रम के अन्तर्गत साइबर क्राइम पर अंकुश पा सकते हैं। वहीं सोशल मीडिया के द्वारा जागरूकता अभियान सरकार से लेकर आम नागरिक तक को इस मुहिम का भाग बनना होगा। जैसे महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 सबकी जुबान पर है यह महिलाओं की रक्षा के लिए होता है वैसे ही साइबर क्राइम हेल्पलाइन नम्बर 1930 का प्रसार प्रचार बड़े पैमाने पर होना चाहिए जिससे की हम सभी इस साइबर अपराध के गंभीर खतरों से बच सकें ।