ये हैं यूपी के 3 अनुशासित स्कूल, राष्ट्रपति से सम्मानित हेड मास्टर का मिल रहा संरक्षण
सुल्तानपुर: कौन कहता है कि प्राइमरी-जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाई अच्छी नहीं होती? इन स्कूलों में तैनात सरकारी शिक्षक सेवा भाव से नहीं पढ़ाते? जिन किसी को भी इन बातों का वहम समाया हुआ है, वो सुलतानपुर से आज़मगढ़ रोड पर 45 किलोमीटर चलकर कादीपुर तहसील के कटसारी गांव आ जाएं। जहां के 1 जूनियर और दो प्राइमरी स्कूल अगल-बगल बना हुआ है। यहां पढ़ने वाला हर बच्चा अनुशासित मिलेगा। शिक्षक ऐसे के जूनियर हाईस्कूल के हेड मास्टर को अभी बीते साल ही शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ने सम्मानित किया।
1980 में मिली पोस्टिंग
अक्टूबर 1980 में मोतिगरपुर ब्लाक के मलवा पहाड़पुर प्राइमरी स्कूल में बतौर टीचर अपनी सरकारी जॉब की शुरुआत करते हुए कृष्ण कुमार 37 साल गुजार चुके हैं। शुरु के 4 सालों के बाद 1984 में पैतृक गांव बलवारीपुर में उन्हें पोस्टिंग मिली और 20 साल यहां उन्होंने काटे। फिर 2004 में जूनियर हाईस्कूल कटसारी में पोस्टिंग मिली।
स्कूल में लगा दिया चार चांद
कटसारी के स्कूल में आकर तो कृष्ण प्रसाद ने मानों चार-चांद लगा दिए। इसकी गवाह कैमरे में कैद हुई स्कूल की तस्वीरें हैं। तस्वीरों को देखकर के अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब स्कूल की दीवारें इतनी लाजवाब इबारतों से पटी पड़ी हैं, तो स्कूल में एजुकेशन ले रहे स्टूडेंट्स का क्या हाल होगा?
तीनों स्कूलों में हैं 450 बच्चे
13 सालों की मशक्कत के बाद आलम ये हुआ है कि 2004 में जिस स्कूल में स्टूडेंट्स की फीगर 27 हुआ करती थी, वहां आज 175 के आसपास स्टूडेंट्स हैं। वो भी ऐसे स्टूडेंट्स की हाज़िर जवाब और नर्सरी स्कूल के स्टूडेंट्स की तरह अप टू डेट। कृष्ण कुमार के यहां पोस्टिंग का असर जूनियर हाईस्कूल की बिल्डिंग के ठीक सामने बने प्राइमरी स्कूल फर्स्ट और जूनियर हाईस्कूल के पीछे बनी बिल्डिंग प्राइमरी स्कूल सेकेंड में पोस्टेड टीचरों और स्टूडेंट्स पर पड़ा। तीनों स्कूलों में मिलाकर 450 स्टूडेंट्स की आज फिगर है।
स्टूडेंट्स को जुबानी याद हैं यूपी के 75 डिस्ट्रिक्ट के नाम
वो असर ये की यहां भी दीवारें किताबों की शक्ल में मिली तो प्राइमरी स्कूल फर्स्ट में टीचर शालिनी रघुवंशी के सेकशन में स्टूडेंट्स राष्ट्रगान सुनाते तो टीचर सुनीता कटियार की क्लास में स्टूडेंट्स गुड मार्निंग और थैंक्यू जैसे अनुशासन में पाए गए। प्राइमरी स्कूल सेकेंड में टीचर अंशु की क्लास में स्टूडेंट्स का आलम ये कि क्लास 3rd और 4th के स्टूडेंट्स को यूपी के 75 डिस्ट्रिक्ट के नाम सीक्वेंस के साथ रटे हुए हैं। ये सभी टीचर और दोनों स्कूलों के प्रिंसिपल कृष्ण कुमार को ही अपना आयडियल मानते हैं और इस चेंजिंग को उन्हीं की देन।
दूसरों के लिए हैं प्रेरणा दायक
उनके इन तमाम प्रयासों और मेहनत को देखते हुए बीते वर्ष शिक्षक दिवस (5 सितंबर 2017) के अवसर पर नई दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें सम्मानित किया। साथ ही उन्हें जाब में 2 साल का एक्स्ट्रा टाइम भी मिला, वरना वो 2017 मार्च को रिटायर्ड हो जाते। कृष्ण प्रसाद यादव ने कहा कि खुद व सहयोगी अध्यापकों की हेल्प से स्कूल को आदर्श स्कूल के रूप में स्थापित किया है और इन्हीं सबके एक साथ संगठित होकर उन्होंने ये मुकाम हासिल किया कि उन्हें अवार्ड मिला। जो अब दूसरों के लिए प्रेरणा दायक है।
संडे और छुट्टियों में भी लगती है क्लास
दरअसल इस अवार्ड के पीछे सबसे बड़ी वजह ये कि उन्हें और साथी टीचरों को स्टूडेंट्स के कैरियर के प्रति इस कद्र समर्पण कि संडे और बाकी छुट्टियों के दिनों में भी स्कूल खोलकर कमजोर स्टूडेंट्स की क्लासेज चलवाते हैं। यही नहीं स्कूल में लगे पेड़-पौधों की सिंचाई एवं देखभाल भी इन्हीं के जिम्मे है। इसके अलावा स्टूडेंट्स के गार्जियन से मिलकर उन्हें रिपोर्ट करना, स्टूडेंट्स के स्कूल न आने पर उनके घर पहुँचना हैं या बकिया टीचर को भेजना उनका रूटीन है।
आयडियल पर्सन हैं प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम आज़ाद
Newstrack.com से बातचीत में कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी फैमली और फैमली मेंबर स्कूल और स्टूडेंट्स हैं। उन्होंने बताया कि बाकी खेती-किसानी के लिए 90 वर्षीय पिता के साथ एक बेटा लगा रहता है। उन्होंने बताया कि उनकी लाइफ में चेंज या तो शिव खेडा की बुक्स लेकर आई या फिर आयडियल प्रसन प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम आज़ाद। हां, बेहतर एजुकेशन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर सरकार डेस्क और बेंच का इंतज़ाम भी कर दे तो लोग सरकारी स्कूल की तरफ़ और तेज़ी से बढ़ेंगे।
90 साल के बाप को 61 साल के बेटे पर है फक्र
कादीपुर के बरावारीपुर गांव निवासी वीरबल यादव (90) के पुत्र कृष्ण प्रसाद यादव इलाके में ही नहीं बल्कि प्रदेश लेबल तक ख्याति पा चुके हैं, जिसे देख बूढ़े बाप खुशी से गदगद हैं। दरअसल कृष्ण प्रसाद यादव को लेकर वीरबल यादव के दो बेटे और एक बेटी थी। दो भाईयों में अकेली बेटी भगवान को प्यारी हो गई। लेकिन 61 वर्षीय प्रिंसिपल बेटे ने काम कुछ ऐसा किया है, जिससे बाप का जख्म दूर हुआ और सिर फक्र से ऊंचा हो गया है। कृष्ण प्रसाद बताते हैं कि उनके भी दो बेटे और दो बेटियां हैं और इनमें से एक बेटा इंजीनियर है।