अफसरों के चयन पर रेलवे ने लगाई रोक, सिविल सेवा में इस बार 300 सीटें होगी कम

  इस साल यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा और भारतीय इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा में 300 सीटें कम हो जाएंगी। रेलवे बोर्ड ने यूपीएससी को एक पत्र लिखकर कहा है कि वह इस साल से रेलवे के लिए अफसरों का चयन न करें।

Update:2020-01-17 11:19 IST

नई दिल्ली: इस साल यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा और भारतीय इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा में 300 सीटें कम हो जाएंगी। रेलवे बोर्ड ने यूपीएससी को एक पत्र लिखकर कहा है कि वह इस साल से रेलवे के लिए अफसरों का चयन न करें।

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इस वजह से किया मना

 

बोर्ड ने 13 जनवरी को यूपीएससी को भेजे पत्र में कहा है कि हाल ही में उसने 9 अलग-अलग सेवाओं को मिलाकर रेलवे मैनेजमेंट सेवा बनाने का ऐलान किया था। इसलिए अब यूपीएससी उसके लिए इस नए काडर के लिए अफसरों का चयन न करें।

प्रीलिम्स के लिए आवेदन

 

अगले महीने से सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के प्रीलिम्स के लिए आवेदन मांगे जाने हैं। पिछले साल सिविल परीक्षा के जरिए 782 अफसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाई गई। 2018 में भी इतनी ही वेकैंसी के लिए विज्ञापन दिया गया था, जबकि 759 अफसरों का ही चयन हो पाया।

6 साल में 1236 अफसरों का चयन

पिछले 6 साल में यह सबसे कम संख्या है। 2014 में 1364 नियुक्तियों के लिए विज्ञापन दिया गया और 1236 अफसरों का चयन हुआ। इस साल यह संख्या केवल 642 रह जाएगी। इसके जरिए आयोग रेलवे की लेखा सेवा, कार्मिक सेवा और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के लिए उम्मीदवारों का चयन करता था।

आयोग ने भारतीय इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के जरिए पिछले 2 साल के दौरान 581 और 588 अफसरों का चयन किया। इस साल यह संख्या 425 रहने की संभावना है। इसके जरिए आयोग रेलवे की सिविल इंजीनियरिंग सेवा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग सेवा, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग सेवा, सिग्नल इंजीनियरिंग सेवा, ट्रैफिक सेवा और स्टोर्स सेवा के लिए 160 से 175 उम्मीदवारों का चयन हर वर्ष करता था।

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कैसी होगी चयन प्रक्रिया

रेलवे ने तय नहीं किया है कि नए बने काडर रेलवे मैनेजमेंट सेवा के लिए नियुक्तियों की क्या प्रक्रिया होगी। क्या रेलवे बोर्ड इसके लिए अलग से परीक्षा कराएगा या किसी अन्य परीक्षा के जरिए अफसरों का चयन होगा?

 

सवालों के घेरे में

कई सांसदों ने नए काडर के गठन और नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए हैं। रेलवे संबंधी संसद की स्थायी समिति के सदस्य प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में पुराने कारणों को बहाल किए जाने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी के जरिए चुने गए अफसरों की सेवा शर्तों में अचानक बदलाव लाया जाना असांविधानिक और गैरकानूनी है।

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