दरोगा नहीं बने तो टीचर बनने का दिया हाईकोर्ट ने निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में चयन होने के बाद दरोगा भर्ती 2011 में भी चयनित हुए। ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का निर्देश दिया है, जो दरोगा भर्ती परिणाम रद्द होने के बाद फिर टीचर बनना चाहते हैं।

Update: 2017-07-10 15:03 GMT
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इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में चयन होने के बाद दरोगा भर्ती 2011 में भी चयनित हुए। ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का निर्देश दिया है, जो दरोगा भर्ती परिणाम रद्द होने के बाद फिर टीचर बनना चाहते हैं।

भर्ती का चयन रद्द

भर्ती का चयन परिणाम रद्द कर दिया है। कोर्ट ने नए सिर से लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर ग्रुप डिस्क्शन कराने का आदेश दिया है। शिवलखन सिंह यादव और कई अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति पीके एसबघेल ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि यदि संभव हो तो उसी स्कूल में याचीगणों की नियुक्ति की जाए, जहां उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यदि उस स्कूल में पद खाली न हो तो किसी अन्य विद्यालय में नियुक्ति दी जाए।

क्या कहना है याचीगण का?

याचीगण का कहना था कि 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित हुए थे। 4 फरवरी 2015 को छह माह की ट्रेनिंग पर भेजा गया। ट्रेनिंग के बाद उन्होंने परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा आयोजित परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उनको मौलिक पद पर नियुक्ति का आदेश मिलने वाला था। परन्तु इसके पहले उनका चयन दरोगा भर्ती 2011 में भी हो गया। इसमें अंतिम रूप से चयनित होने के बाद वह प्रशिक्षण पर चले गए। प्रशिक्षण 22 नवम्बर 2016 तक चला।

अन्य स्कूल में नियुक्ति देने का आदेश

इस बीच अभिषेक कुमार सिंह की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दरोगा भर्ती लिखित परीक्षा का परिणाम

रद्द कर दिया। इस कारण याचीगण सहायक अध्यापक के पद पर लौटना चाहते हैं। उनको नियुक्ति पत्र दिया जाए। कोर्ट ने सचिव लखीमपुर खीरी और कुशीनगर के याचीगण को उनके स्कूल में या किसी अन्य विद्यालय में नियुक्ति देने का

आदेश दिया है।

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