Allahabad University में आयोजित हुआ डिस्टिंगविशड लेक्चर सीरीज, भारत की विदेश नीति पर बोलें विशेषज्ञ

Allahabad University News: जब देश आजाद हुआ तो भारत में पर्याप्त अनाज भी नहीं था। उद्योग धंधे भी नहीं थे। ऐसे विपरीत समय में भारत के सामने विदेश नीति बनाने की चुनौती थी। सरदार पटेल ने चीन को लेकर आशंका जाहिर की थी, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नजरअंदाज किया।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2022-08-24 12:51 IST

Allahabad University News (Social Media)

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Allahabad University News: आज यानी 23 अगस्त, 2022 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तिलक हॉल में विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से तथा राजनीति विज्ञान विभाग, इविवि के तत्वावधान में 'डिस्टिंगविशड लेक्चर सीरीज' श्रृंखला के अंतर्गत भारत की विदेश नीति पर वीरेंद्र गुप्ता, भूतपूर्व राजदूत एवं आई.एफ.एस द्वारा एकल व्याख्यान दिया गया।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत वक्तव्य देते हुए राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पंकज कुमार ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत की विदेश नीति में कई तरह के बदलाव आए हैं। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा से अवकाश प्राप्त तथा कई देशों में राजदूत रह चुके वीरेंद्र गुप्ता का परिचय भी दिया। वीरेंद्र गुप्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र भी रहें हैं। उन्होंने फिजिक्स में एमएससी की पढ़ाई इविवि से ही पूरी की थी।

राष्ट्रीय जरूरत के अनुसार तय होती है विदेश नीति - वीरेंद्र गुप्ता

"75 वर्षों में भारत की विदेश नीति" विषय पर बोलते हुए श्री वीरेंद्र गुप्ता ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो भारत में पर्याप्त अनाज भी नहीं था। उद्योग धंधे भी नहीं थे। ऐसे विपरीत समय में भारत के सामने विदेश नीति बनाने की चुनौती थी। सरदार पटेल ने चीन को लेकर आशंका जाहिर की थी, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नजरअंदाज किया। गुप्ता ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू का दुनिया को देखने का नजरिया व्यवहारिक नहीं था। विदेश नीति सिद्धांत पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय जरूरतों के हिसाब से तय होती है।


निरतंर अध्ययन व्यक्तित्व के लिए जरूरी - प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले कुछ महीने में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 14 विभागों में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। और 200 नए शिक्षक विश्वविद्यालय परिवार से जुड़े हैं। कुलपति ने "क्लीन कैंपस ग्रीन कैंपस" की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों से कहा कि सिर्फ एक विषय का अध्ययन ही पर्याप्त नहीं है बल्कि छात्रों को कई विषयों की सामान्य जानकारी होनी चाहिए। हर शिक्षक और विद्यार्थी को अपने विषय से इतर अन्य विषयों की किताबें भी पढ़नी चाहिए।

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