यहां सिलेबस में शामिल है भागवत गीता, मुस्लिम छात्र भी शामिल होते हैं कक्षा में

भागवत गीता सिर्फ काव्य नहीं है बल्कि जीवन दर्शन है। इसीलिए यूपी में मेरठ के एक स्कूल ने गीता को अपने सिलेबस में शामिल कर लिया है। हैरत की बात ये है कि यहां मुस्लिम छात्र भी गीता सार पढ़ते हैं और कहीं कोई विवाद नहीं है।

Update: 2018-12-30 07:02 GMT

मेरठ : भागवत गीता सिर्फ काव्य नहीं है बल्कि जीवन दर्शन है। इसीलिए यूपी में मेरठ के एक स्कूल ने गीता को अपने सिलेबस में शामिल कर लिया है। हैरत की बात ये है कि यहां मुस्लिम छात्र भी गीता सार पढ़ते हैं और कहीं कोई विवाद नहीं है।

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गीता ही क्यों

जागृति विहार का बीडीएस स्कूल अपने यहां कक्षा तीन से आठ वीं तक में भागवत गीता के श्लोकों के बारे में बच्चों को पढ़ा रहा है, प्रबंधन के मुताबिक गीता हमें संस्कार, कर्म और नैतिक शिक्षा देती है। छात्रों को होमवर्क दिया जाता है। परीक्षा होती है। अभिभावकों का कहना है ये एक अच्छी पहला है इससे हमारे बच्चों में संस्कार पैदा हो रहे हैं। हमारे बच्चे जीवन का मूल मंत्र समझ रहे हैं हमें ऐसी ऐसे नहीं पढ़ाया गया लेकिन बच्चे पढ़ते हैं तो अच्छा लगता है।

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मुस्लिम बच्चे भी शामिल

स्कूल ने पिछले वर्ष गीता की क्लास को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कक्षा तीन में शामिल किया था। रिजल्ट बेहतर आने पर आठवीं तक के बच्चों के लिए गीता पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया। आज दो हजार बच्चे गीता को सिलेबस के तौर पर पढ़ रहे हैं, इनमें मुस्लिम बच्चे भी शामिल हैं और उनके माता पिता को इससे कोई परेशानी नहीं है।

मुस्लिम अभिभावकों के मुताबिक हमें कोई एतराज नहीं है कोई भी धार्मिक ग्रंथ हो उसमें इंसानियत का ही पाठ है, गीता भी यही सिखाती है। इसे पढ़ने में कोई हर्ज नहीं है।

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