B'day Spl: 'अद्भुत कलाम को सलाम', विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं इनके विचार
लखनऊ: मिसाइलमैन के नाम से जाने-जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। वे अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से किए थे। प्रारम्भिक जीवन में उन्होंने बड़े ही दुख झेलने पड़े थे। यहां तक की अपने परिवार के पालन पोषण और भाई बहनों को पढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत करते थे। लेकिन वे अपने जीवन की लड़ाई से कभी हार नहीं माने।
अख़बार बेचकर पढ़ाई कर बने वैज्ञानिक
अब्दुल कलाम ने एक मछुआरे के घर में जन्म लिया। अख़बार बेचकर पढ़ाई करने वाले कलाम देश के चोटी के वैज्ञानिक बने। उन्होंने ही भारत के लिए अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाईं थीं और देश को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की कैटेगरी में शामिल कराया। कलाम ने डीआरडीओ और इसरो के साथ काफी दिनों तक काम किया है।
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विद्यार्थियों से था अभिन्न लगाव
कलाम के अन्दर विद्यार्थियों को प्रेरित करने का जुनून था। राष्ट्रति पद पर रहते हुए और पद मुक्त होने के बाद भी वह शैक्षिक संस्थानों व विद्यार्थी समूहों में अपना सर्वाधिक समय व्यतीत करते थे। विज्ञान और सदाचार के प्रति विद्यार्थियों में जोश भरने का एक बीड़ा उठा रखा था। विद्यार्थियों को कठिन श्रम के मूल्य को चित्रित करते हुए कलाम निष्क्रिय विद्यार्थी को भी सक्रिय कर देते थे।
पूर्व राष्ट्रपति के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-
इन सम्मानों से नवाजा गया है 'कलाम' को
उनको देश की सेवा के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं।
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
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1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे
सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई| ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है। 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे।
30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली
उन्होंने चार किताबे लिखी थी जो कि लाखों भारतीयों की प्रेरणा स्त्रोत हैं। उनकी किताबें 'विंग्स ऑफ़ फायर', 'इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया' थी। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। वह देश के विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिनको 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली थी।
बता दें कि वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्हें साल 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया था। वहीं, पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद वे वापस शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा में लौट आए थे। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई, 2015 को शिलॉंग में निधन हो गया था वे आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर देने गए थे, इसी दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। लेकिन उनके कुछ प्रेरणादायक विचार आज भी हमें जीवन जीने की सीख प्रदान करते हैं जो इस प्राकर हैं-
1. आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढिया दवाई है।
2. जीवन में फेल होते हैं तो कभी हार न मानें क्योंकि फेल (FAIL) मतलब फर्स्ट अटैम्प्ट इन लर्निंग होता है।
3. अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं तो पहले आपको सूरज की तरह तपना होगा।
4. इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।
5. सपने वो नहीं हैं जो आप नींद में देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको नींद ही नहीं आने दें
6. चलो हम अपना आज कुर्बान करते हैं जिससे हमारे बच्चों को बेहतर कल मिले।
7. भगवान उसी की मदद करता है जो कड़ी मेहनत करते हैं, यह सिद्धान्त स्पष्ट होना चाहिए।
8. हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओं को हम पर हावी नहीं होने देना चाहिए।