'कॉपी न किताब-हम होंगे कामयाब', का सपना दिखा रहे इंग्लिश मीडियम के सरकारी स्कूल

Update:2018-10-24 13:06 IST

सुल्तानपुर: यूपी के सुल्तानपुर में परिषदीय स्कूलों को मॉर्डन कर इंग्लिश मीडियम बनाने की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है। शिक्षण सत्र शुरु होने के छ: माह बाद भी स्कूलों में कॉपी-किताब अभी तक नहीं पहुंची है। बच्चे हिंदी मीडियम की फटी-पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं। मामला है सुल्तानपुर जिले के भदैया ब्लाक के भरसारे स्कूल का जहां पर इसके जमीनी हकीकत का पता चला।

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भदैया ब्लाक के भरसारे स्कूल का मामला

सुल्तानपुर सीमावर्ती क्षेत्र पर चयनित इंग्लिश मीडियम विद्यालय भदैया ब्लाक के भरसारे की जमीनी हकीकत जानी गई तो सारा मामला उजागर हो गया। बच्चों और अध्यापकों से बातें करने पर पता चला कि अभी तक मात्र कक्षा 1, कक्षा 2 एवं कक्षा 3 की मात्र दो - दो किताबें उप्लब्ध हो पाई हैं। बच्चे हिन्दी मीडियम की पुरानी किताबों से पढाई कर रहे हैं। चुनाव प्रचार में सभी पार्टियां बड़े बड़े वादे करते हैं परन्तु वो वो जमीनी हकीकत पर शून्य नजर आते हैं।

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने ये निर्णय लिया था कि परिषदीय को चयनित करके इंग्लिश मीडियम बनाकर उच्च शिक्षा प्रदान की जाएगी। विद्यालय चयनित भी हुये परन्तु विद्यालय चयनित होने से शिक्षा का स्तर नहीं बढता इसके लिये किताबों की आवश्यक्ता होती जिसकी व्यवस्था अभी तक सरकार या शिक्षा विभाग नहीं कर पाया है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

ऐसे में शिक्षा विभाग पर सवाल बनता है कि जब कॉपी न किताब, बच्चे होंगे कैसे कामयाब? इस मामले पर जब बीएसए कौस्तुभ सिंह से बात की गई तो उन्होंने टाल मटोल जवाब देते हुए पल्ला झाड़ लिया। बीएसए ने कहा कि किताब भेजी जा रही हैं। लेकिन इस हालात से अन्दाजा लगाया जा सकता ​है कि ये कब पहुंचेगी?

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परिषदीय स्कूलों को मार्डन कर इंग्लिश मीडियम बनाने की मुहिम फेल

परिषदीय स्कूलों को मार्डन कर इंग्लिश मीडियम बनाने की मुहिम फेल नजर आ रही है। निजी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव और परिषदीय स्कूलों के प्रति लोगों के हो रहे मोहभंग को देखते हुए शासन ने परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम से विकसित करने का फैसला लिया था। इसके तहत जिले के चयनित विद्यालयों को शामिल किया गया।

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अफसरों ने स्कूलों को चिन्हित करके वहां पर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने वाले शिक्षकों की तैनाती भी कर दी। इसके बावजूद यह स्कूल बदहाली के शिकार हैं। एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरु हो गया है, और स्कूलों में अभी अंग्रेजी माध्यम की किताबें तक नहीं पहुंचाई जा सकी।

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