CBSE BOARD EXAM: डायबिटिक छात्र ले सकते है बोर्ड परीक्षाओं में स्नैक्स

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अब टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित स्टूडेंट्स स्नैक्स ले सकते हैं। मधुमेय छात्रों को खाने के लिए ब्रेक मिलेगा।सीबीएसई ने एक सर्कुलर में कहा कि बड़ी संख्या में बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के मरीज हैं।

Update: 2017-02-22 11:53 GMT

नई दिल्‍ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अब टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित स्टूडेंट्स स्नैक्स ले सकते हैं। मधुमेय छात्रों को खाने के लिए ब्रेक मिलेगा।सीबीएसई ने एक सर्कुलर में कहा कि बड़ी संख्या में बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के मरीज हैं।

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को बनाए रखने के लिए उन्हें नियमित अंतराल पर इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है।

आगे की स्लाड्स में जानें सीबीएई ने क्या कहा...

क्या कहा सीबीएसई ने?

-सीबीएसई ने कहा, मधुमेह से पीड़ित बच्चों को हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के लिए लगातार कुछ खाने पीने की आवश्यकता होती है, नहीं तो उनके परफॉरमेंस पर बुरा असर पड़ सकता है।

-डायबिटिक स्टूडेंट्स शुगर टैबलेट, फल, स्नैक्स और पानी परीक्षा केंद्र में ला सकते हैं जिसे निरीक्षकों के पास रखा जाएगा।

-सीबीएसई ने कहा कि इसके लिए छात्र की मेडिकल स्थिति का प्रमाण पत्र संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य को भेजना होगा।

आगे की स्लाड्स में जानें किसलिए जरूरी हैं स्नैक्स...

इसलिए जरूरी हैं स्नैक्स...

-डॉक्‍टर्स के अनुसार मधुमेह पीड़ित लोगों को लंबे समय तक भूखे रहने से शुगर का लेवल में तेजी से उतार-चढ़ाव हो सकता है, इसलिए उन्‍हें थोड़े-थोड़े समय पर कुछ खाना आवश्यक होता है।

-इसी प्रकार टाइप-1 के बच्चों के लिए इंसुलिन लेना जरूरी होता है।

-इनमें शुगर कम होने का खतरा बना रहता है।

-यदि इन्हें इंसुलिन लेने के डेढ़ घंटे के बाद स्नैक्स आदि न मिले तो कई तरह की समस्या हो सकती है।

-इन्हें सिर में दर्द और चक्कर भी आ सकते हैं।

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ग्रो इंडिया संस्था ने सौपा मांगपत्र

-कानपुर की ग्रो इंडिया नाम की एक संस्था ने साल 2015 में भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी को 10 प्वाइंट्स पर आधारित एक मांगपत्र सौंपा था।

-इसमें केवल सीबीएसई ही नहीं सभी बोर्ड और यूनिवर्सिटी की सभी परीक्षाओं के लिए सुझाव दिया था।

-सलाह यहथी कि टाइप-1 से प्रभावित बच्चों को परीक्षा और सामान्य अध्ययन के बीच कई तरह की छूट दी जानी चाहिए।

-दिल्ली डायबिटिक एसोसिएशन ने ऐसे बच्चों पर अध्ययन करके सीबीएसई को रिपोर्ट सौंपी थी।

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