राज्यपाल राम नाईक बोलें- तरक्की के लिए व्यक्तित्व विकास जरूरी, सफलता के दिए ये 4 मंत्र

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (CCSU) के प्रेक्षागृह में विश्वविद्यालय का 28वां दीक्षांत समारोह का शुभारंभ हुआ। इसका शभारंभ कुलाधिपति और राज्यपाल राम नाईक ने दीप प्रज्जवलन और मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

Update: 2017-03-10 15:01 GMT

मेरठ : चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (CCSU) के प्रेक्षागृह में विश्वविद्यालय का 28वां दीक्षांत समारोह का शुभारंभ हुआ। इसका शभारंभ कुलाधिपति और राज्यपाल राम नाईक ने दीप प्रज्जवलन और मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

इस समारोह की शुरुआत राष्ट्रगीत वंदेमातरम से हुई। इससे पूर्व विश्वविद्यालय आगमन पर एनसीसी कैडेट्स की ओर से कुलाधिपति और राज्यपाल को गार्ड आॅफ आॅनर दिया गया।

इन्हें दी गई उपाधि

-कुलाधिपति व राज्यपाल राम नाईक ने डीलिट की 4 उपाधि (3 कला और 1 शिक्षा संकाय), एलएलडी 1, पीएचडी212, एमडीएस 101, एमबीबीएस 94, एमडी 32, एमएस 14, डीएम 1, डिप्लोमा 16, पीजी 433, एमफिल117, स्नातक 425 उपाधियां व 36 स्वर्ण पदक दिए।

-कुलपति एनके तनेजा ने राज्यपाल और मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न व शाॅल भेंट किया।

-इस अवसर पर कुलाधिपति रजत पदक विज्ञान फैकल्टी में आशा चौहान, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक एमफिल में सर्वाधिक अंक प्राप्त इरफत जान और इशान अहमद को दिया गया।

-किसान ट्रस्ट नई दिल्ली की ओर से प्रदत्त चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार बीएससी कृषि के हरेेद्र और मयंक जाखड़ को दिया गया।

-साथ ही 31 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक दिया गया।

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क्या कहा कुलाधिपति ने?

-कुलाधिपति व राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ का अहम योगदान रहा है। जिसको भुलाया नहीं जा सकता।

-उन्होंने कहा, मेरा यह इस साल का 21वां दीक्षांत समारोह है।

-उन्होंने बताया कि वह 29 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं।

-चार नए विश्वविद्यालयों में डिग्री कोर्स अभी पूरा नहीं हुआ है।

-अप्रैल अन्त तक 4 विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित करा लिए जाएंगे।

-उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में नियमित रूप से दीक्षांत समारोह आयोजित होने प्रारंभ हुए हैं।

किताबी पढाई तक न रहे सीमित

-उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य मात्र डिग्री देना ही नहीं है बल्कि अनुसंधान पर कार्य करना भी है। ताकि समाज को लाभांवित किया जा सके।

-उन्होंने युवाओं से कहा कि वह किताबी पढ़ाई तक ही सीमित न रहें।

-अन्य चीजों और वर्तमान घटनाक्रम व बदलाव पर भी अपने आपको अपडेट करते रहें। क्योंकि तरक्की के लिए व्यक्तित्व विकास आवश्यक है।

-उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से भारत में अनेकों परिवर्तन हुए है तथा परिवर्तनों की जानकारी आवश्यक है।

-उन्होंने कहा कि माता पिता व गुरुजनों ने आपके पंखों में नई जान दी है अब उड़ान भरने की जिम्मेदारी आपकी अपनी है।

छात्रा सबसे आगे

-उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी की ओर से सत्र 2016 में संबद्ध सभी महाविद्यालयों को जोड़ते हुए कुल 144629 डिग्रियां छात्र-छात्राओं को दी जा रही है। जिसमें से 71621 छात्र और 73008 छात्राएं हैं।

-साथ ही 36 स्वर्ण पदक दिए गए हैं । जिसमें 11 छात्र और 25 छात्राएं हैं।

-उन्होंने कहा कि छात्राओं का अनुपात छात्रों से ज्यादा है और यह एक शुभ संकेत है।

-उन्होंने कहा कि साल 2025 में सबसे ज्यादा युवक भारत में होंगे।

-युवा पीढ़ी भारत की एक सम्पत्ति है।

-यूनिवर्सिटी, गुरुजनों और माता पिता का दायित्व है कि वह युवाओं को सही दिशा और ज्ञान दें।

-जिससे वह एक सफल तथा अच्छे नागरिक बन सके।

-युवा गलत रास्ते पर न जाए यह जिम्मेदारी समाज और विद्यालयों की होती है।

दिए सफलता के 4 मंत्र

-राम नाइक ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को सफलता के 4 मंत्र दिए।

-जिसमें प्रथम-सदा मुस्कुराते रहना।

-द्वितीय, दूसरों की प्रशंसा करना।

-तृतीय, किसी की अवमानना न करना और अहंकार न करना।

-चतुर्थ, जो कोई भी कार्य हम करते है वह और अधिक अच्छा कैसे हो सके उस पर हमेशा विचार करना।

-नाइक ने कहा कि जीवन चलने का नाम है, जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है, जो खड़ा हो जाता है उसका भाग्य खड़ा हो जाता है तथा जो सो जाता है, उसका भाग्य भी सो जाता है।

क्या बोलें मुख्य अतिथि

-मुख्य अतिथि महानिदेशक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद व सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार डॉ गिरीश साहनी ने कहा कि सालों के परिश्रम के बाद सफलता मिलती है।

-इसलिए प्रत्येक डिग्री धारक अपने ज्ञान से जग में अपना और अपनेे माता पिता का नाम रोशन करें।

-उन्होंने कहा कि असफलताएं सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।

-जीवन का मुख्य उद्देश्य मानसिक और आध्यात्मिक खुशी प्राप्त करना हैं।

-उन्होंने कहा कि असली खुशी दूसरों की सेवा में है।

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