69000 शिक्षक भर्ती: कोर्ट ने सरकार को भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की दी छूट, लेकिन...

एकल पीठ के इसी आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपीलों के जरिये सरकार की ओर से 7 जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुए कहा गया कि क्वालिटी एजुकेशन के लिये सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है।

Update: 2019-05-30 15:32 GMT

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 में अभ्यर्थियेां के लिए मिनिमम क्वालिफाइंग माक्र्स तय करने संबधी 7 जनवरी 2019 को जारी एक शासनादेश को खारिज करने के खिलाफ दायर विशेष अपील पर सुनवायी करते हुए केार्ट डिवीजन बेंच ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा है कि राज्य सरकार केा आपत्तियां आमंत्रित करने के बाद उत्तर पुस्तिकायें प्रकाशित करने की इजाजत दे दी है।

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि बिना उसकी पूर्व अनुमति या विशेष अपील के निस्तारण तक परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित नहीं किया जायेगा । कोर्ट ने इससे पहले विशेष अपील में उठाये गये बिन्दुअेां पर विचार की आवश्यकता बतायी थी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवायी जुलायी के दूसरे सप्ताह में नियत की है। सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए यह चयन प्रकिया प्रारम्भ की थी ।

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यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने राघवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य की ओर से अलग अलग दायर विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवायी करते हुए पारित किया। विशेष अपीलों में केार्ट की एकल पीठ द्वारा 30 मार्च 2019 को पारित उस आदेश केा चुनौती दी गयी थी जिसमें कोर्ट ने सरकार के 7 जनवरी 2019 के शासनादेश को रद कर दिया था और साथ ही सरकार केा आदेश दिया था कि 1 दिसम्बर तथा 5 दिसम्बर 2018 को इस परीक्षा को कराने संबधी जारी शासनादेशों का अनुपालन करते हएु सहायक शिक्षक भर्ती 2018 के अनुसार मेरिट बनाकर परिणाम घोषित किया जाये। एकल पीठ ने सरकार को तीन माह के भीतर परिणाम घेाषित कर भर्ती प्रकिया पूरी करने का आदेश दिया था।

दरअसल दरअसल एकल पीठ के सामने याचिका दायर कर सचिव, बेसिक शिक्षा द्वारा जारी 7 जनवरी 2019 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें 6 जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया था। याचियों का कहना था कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित करना, विधि के सिद्धांतों के विरुद्ध था। याचियों का आरोप था कि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोकने के लिये, सरकार ने पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित कर दिया था।

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एकल पीठ के इसी आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपीलों के जरिये सरकार की ओर से 7 जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुए कहा गया कि क्वालिटी एजुकेशन के लिये सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है।

वहीं एकल पीठ के आदेश का बचाव करते हुए कहा गया कि सर्वोच्च कोर्ट द्वारा शिक्षा मित्रेां केा आगामी दो परीक्षाओं में 25 मार्क्स का वेटेज दिये जाने का निर्देश दिया गया था। वर्ष 2018 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था, जिसमें वे भाग ले चुके थे। इस बार उनके लिये सहायक शिक्षक पद पर भर्ती होने का आखिरी मौका था लिहाजा इसका क्वालिफाइंग मार्क्स पिछली परीक्षा के अनुसार ही होना चाहिए।

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देानेां पक्षेां की बहस सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि मामले में विचार करने की आवश्यकता है। अतः दौरान सुनवायी डिवीजन बेचं ने अंतरमि आदेश पारित करते हुए सरकार को उपरेाक्त शर्तो के तहत चयन प्रकिया पूरी करने की अनुमति दे दी किन्तु परीक्षा परिणाम घेाषित करने पर फौरी तौर पर रेाक लगा दी।

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