DDU University Gorakhpur: महज कागजों के आधार पर फैसले न लें, संवेदनशीलता का भी रखें ख्याल: जस्टिस वर्मा

DDU University Gorakhpur: आज संवेदनशीलता की आवश्यकता हर जगह है। तब सवाल उठता है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी। क्या न्यायाधीशों के पास हृदय नहीं हैं। बिल्कुल है। जब आपके पास किसी पीड़ित का कोई मामला आता है तो हमें और संवेदनशील होने की जरूरत है।

Written By :  Durgesh Sharma
Update: 2022-08-29 06:38 GMT

Justice Verma Said in DDU University Gorakhpur (Social Media)

DDU University Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और ज्यूडिशियल ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जेटीआरआई) की ओर से एक दिवसीय जिला न्यायालय के न्यायधीशों के लैंगिक न्याय, दिव्यांगता के पीड़ितों, यौन उत्पीड़न के सरवाइवर्स के प्रति संवेदनशील बनाने के तहत सेमिनार का उद्घाटन रविवार को दीक्षाभवन में हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा (एडमिनिस्ट्रेटिव जज गोरखपुर) और कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने विश्वविद्यालय के विधि संकाय के डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया।


कार्यशाला में शामिल हुए 250 से अधिक जज, 30 जज डीडीयूजीयू के पुरातन छात्र

इस सम्मेलन में शामिल होने वाले 250 से ज्यादा न्यायधीशों, उच्च न्यायिक सेवा अधिकारियों में करीब 30 न्यायधीश गोरखपुर विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र रहे हैं। कुलपति ने मुख्य अतिथि के सम्मान में साइटेशन को पढ़ा। जिसमें जस्टिस वर्मा के तीन दशक लंबे उनके कार्यकाल के अनेक ऐसे न्यायिक फैसलें जो आम आदमी में न्याय के प्रति विश्वास स्थापित करता है।

मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा ने कहा कि न्यायधीश पीड़ितों को न्याय दिलाते वक्त केवल कागजों के आधार पर ही फैसले न दें। वे महिलाओं, दिव्यांगता के पीड़ितों, यौन उत्पीड़न सरवाईवर्स सरीखे मामलों में संवेदनशील रहे। उनकी मनो‌स्थिति को समझते हुए फैसला देने से पूर्व एक बार हृदय से भी सोचे।


आज संवेदनशीलता की आवश्यकता हर जगह है। तब सवाल उठता है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी। क्या न्यायधीशों के पास हृदय नहीं हैं। बिल्कुल है। जब आपके पास किसी पीड़ित का कोई मामला आता है तो हमें और संवेदनशील होने की जरूरत है। जब टेनिस का खेल आया तो लोगों को संवेदनशील बनाया गया।

इस खेल में पुरूष पांच तो महिलाएं तीन सेट खेलती है। मगर अवार्ड दोनों को बराबर मिलता है। विधि विभाग के छात्रों से कहा कि आने वाला समय आप का है। सेमिनार से सीखें अपने साथ-साथ लोगों को महिलाओं, दिव्यांगों और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के प्रति जागरूक करें।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी न्याय देने के दौरान इन बिंदुओं पर अमल किया जाता है। कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने कहा कि इस तरह के सेमिनार वक्त की मांग है। विश्वविद्यालय प्रशासन और विद्यार्थी इससे प्रोत्साहित होंगे। विश्वविद्यालय की ओर से पूर्वांचल के सतत विकास पर आधारित एक सेमिनार का आयोजन किया गया है।

तीन दिनों तक चले इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में मंत्रियों, शिक्षाविद और सचिव शामिल हुए। विश्वविद्यालय ने पूर्वांचल के विकास का खाका तैयार किया। कैबिनेट स्तर की कमेटी इसे जमीन पर उतारने की योजनाएं बना रही है। आज न्यायधीशों के सेरमिनार से जो निकल कर आएगा।

उससे शिक्षा जगत और विधि के छात्रों को लाभ होगा। अब विधि की पढ़ाई में विद्यार्थियों की तेजी से रूचि बढ़ रही है। देश भर में कई विधि स्कूल खोलें जा रहे हैं। नेशनल लॉ स्कूल बैंग्लोर, नेशनल लॉ स्कूल दिल्ली और सिंबायसिस इंस्टीट्यूट इनमें अग्रणी हैं।

हर गुजरते दिन के साथ आज हमें इंटलैक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स, फाइनेंशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉक चेन, जीएसटी लॉ, कॉपीराइट, प्लेगरिज्म कॉपीराइट सरीखी क्षेत्रों में विधि विशेषज्ञों की आवश्यकता है। जेटीआरआई के डायरेक्टर विनोद सिंह रावत ने अतिथियों का स्वागत किया। कहा कि चार दशकों से न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य हो रहा है। धीरे-धीरे हम इसमें आगे बढ़ रहे हैं।

आभार ज्ञापन जिला जज गोरखपुर तेज प्रताप तिवारी ने किया। सेमिनार में सात जिलों से 200 से अधिक उच्च न्यायिक सेवा अधिकारी, सिविल जज (जूनियर डिवीजन) और सिविल जज सीनियर डिवीजन शामिल हुए। चार सत्रों में ‌विभिन्न बिंदुओं पर दीक्षा भवन में मंथन हुआ।

कुलाधिपति वाटिका में किया पौधरोपण

सेमिनार में शामिल होने पहुंचे मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा (एडमिनिस्ट्रेटिव जज गोरखपुर), जिला जज तेज प्रताप तिवारी और जेटीआरई के डायरेक्टर विनोद सिंह रावत ने कुलाधिपति वाटिका में आम, अमरूद और आंवला का पौधरोपण किया।

इस दौरान कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने मुख्य अतिथि को कुलाधिपति वाटिका के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

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