DU के इन कॉलेजों में प्रिंसिपल के पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में लंबे समय से लगभग 2 दर्जन कॉलेज बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं। अब इनमें से 7 कॉलेजों ने प्रिंसिपल के पद स्थायी रूप से भरने के लिए विज्ञापन निकाले हैं। इन कॉलेजों पर आरोप लग रहा है कि सात कॉलेजों में से किसी ने एक भी पद आरक्षित वर्ग को नहीं दिया है। ऐसे में डीयू की अकैडमिक काउंसिल के सदस्यों ने इस संबंध में एससी-एसटी की संसदीय समिति को एक पत्र लिखा है।

Update: 2017-04-22 14:39 GMT

नई दिल्ली : दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में लंबे समय से लगभग 2 दर्जन कॉलेज बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं। अब इनमें से 7 कॉलेजों ने प्रिंसिपल के पद स्थायी रूप से भरने के लिए विज्ञापन निकाले हैं। इन कॉलेजों पर आरोप लग रहा है कि सात कॉलेजों में से किसी ने एक भी पद आरक्षित वर्ग को नहीं दिया है। ऐसे में डीयू की अकैडमिक काउंसिल के सदस्यों ने इस संबंध में एससी-एसटी की संसदीय समिति को एक पत्र लिखा है।

इन कॉलेजों में हैं खाली पद

काउंसिल के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन का कहना है कि इन कॉलेजों ने विज्ञापन निकाले गए हैं, जिनमें से स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स, गार्गी कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, रामलाल आनंद कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज के अलावा जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज हैं।

प्रिंसिपल के पदों में भी हो आरक्षण

-प्रो. हंसराज ने बताया कि बीते साल संसदीय समिति ने संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा था कि डीयू में प्रिंसिपल के पदों में रिजर्वेशन न देने पर असंतुष्ट है।

-समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रिंसिपल के पदों में भी रिजर्वेशन मिलना चाहिए।

-उन्होंने बताया कि जल्द ही एससी-एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम संसदीय समिति के चेयरमैन से मिलेंगे और तुरंत हस्तक्षेप कर इन पदों को बिना आरक्षण दिए न भरने के लिए कहेंगे।

क्या कहना है प्रो. हंसराज सुमन का?

प्रो. सुमन ने कहा कि अगर डीयू प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण देती है, तो भारत सरकार की आरक्षण नीति और डीओपीटी के निर्देश के अनुसार डीयू में पहले 80 कॉलेजों के हिसाब से एससी 12 पद, एसटी 06 पद, ओबीसी 22 व दिव्यांगों के 3 पद प्रिंसिपल के बनते हैं, लेकिन यूजीसी ने अभी केवल एससी-एसटी को ही आरक्षण दिया है।

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