जल्द लांच होगा 'ई-यूनिवर्सिटी' पोर्टल, आपसी सूचनाएं साझा करने में मिलेगी मदद

Update: 2017-06-12 14:04 GMT
जल्द लांच होगा 'ई-यूनिवर्सिटी' पोर्टल, आपसी सूचनाएं साझा करने में मिलेगी मदद

लखनऊ: सभी राज्य विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली को डिजिटलीकृत करने के लिए जल्द ही 'ई-यूनिवर्सिटी' पोर्टल लाॅन्च किया जाएगा। इसके जरिए विश्वविद्यालयों की आपसी सूचनाएं आसानी से साझा हो सकेंगी। इस प्रक्रिया के तकनीकी बिन्दुओं पर विचार के लिए सोमवार (12 जून) को इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, लखनऊ में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक में बरेली, कानपुर, आगरा, गोरखपुर एवं एकेटीयू के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों से कुलपति के प्रतिनिधि के रूप में आईटी विशेषज्ञ भी मौजूद थे।

सॉफ्टवेयर विकसित करने पर जोर

सबसे पहले एकेटीयू द्वारा अपने प्रस्तुतीकरण में कहा गया, कि 'आज विश्वविद्यालयों के पास छात्रों, शिक्षकों आदि से सम्बन्धित किसी प्रकार का डाटा उपलब्ध नहीं है। इन कार्यों को जिस वेंडर के माध्यम से कराया जाता है, सारा डाटा उसी के पास होता है। इसमें विश्वविद्यालयों को एक ओर अधिक खर्च करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर वेंडरों का डाटा पर एकाधिकार हो जाता है।' कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने जोर दिया कि ई-विश्वविद्यालय पोर्टल के रूप में ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया जाए जो अधिकतम रूप से सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए समान रूप से लागू हो।

'क्लाउड आधारित' होगा

ई-विश्वविद्यालय पोर्टल को बनाने की जिम्मेदारी एनआईसी को दी गई है। एनआईसी के यूपी प्रमुख द्वारा अपने प्रस्तुतीकरण में बताया गया, कि यह साफ्टवेयर 'क्लाउड आधारित' होगा और मोबाइल पर भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा। क्लाउड पर होने के कारण सभी राज्य विश्वविद्यालय एक दूसरे के डाटा का आसानी से सत्यापन भी कर सकेंगे।

'मेघराज क्लाउड' पर होस्ट किया जाएगा

उन्होंने बताया कि यह पोर्टल भारत सरकार के 'मेघराज क्लाउड' पर होस्ट किया जायेगा। अगली बैठक में सभी राज्य विश्वविद्यालयों के आईटी विशेषज्ञों को बुलाया गया है जो अपने-अपने विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली का ब्यौरा प्रस्तुत करेंगे। यह प्रणाली अगले शैक्षिक सत्र से लागू होने की सम्भावना है।

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