लखनऊ: आधुनिक विश्व को गुरुत्वाकर्षण का सिध्दांत समझाने वाले सेव के पेड़ के वंशजो को अब भारत में सहेजने की तैयारी हो रही है। जी हां। जिस सेव के पेड़ से सेव के गिराने को देख कर न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान प्राप्त हुआ था वह पेड़ अब साढ़े तीन सौ साल का हो चुका। जाहिर है वह पेड़ तो अस्तित्व में नहीं लेकिन उस पेड़ के वंशज अभी हैं जिनको नयी कलम के जरिए भारत में उगाने का प्रयास हो रहा है। कहा यह जा रहा है कि पेड़ के वंशज पेड़ के विकास से नयी पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।
न्यूटन ट्री की कलम को भारतीय सेब के पेड़ पर उगाने की तैयारी
खबर है कि पुणे में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के निदेशक सोमक रायचौधरी के अनुसार, संस्थान के प्रांगण में हम इस मामले में एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इसके तहतसंस्थान के परिसर में न्यूटन ट्री की कलम को भारतीय सेब के पेड़ पर उगाने की तैयारी की जा रही है। न्यूटन के इस पेड़ के क्लोन दुनिया के कई और देशों में इसी तकनीक के सहारे पहुंच चुके हैं।
लिंकनशायर में न्यूटन के घर के बगीचे में ऐसे ही पेड़ उगाने की कोशिश
इंग्लैड के लिंकनशायर में लोगों ने न्यूटन के घर के बगीचे में ऐसे ही पेड़ उगाने की कोशिश की थी। ऐसी ही एक कोशिश 1977 में भारतीय वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर ने यहां की थी। अब इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा यही कोशिश की जा जा रही है।
नार्लीकर को न्यूटन के सेब के पेड़ की बजाय बरगद के पेड़ ने प्रेरित किया
बताया जा रहा है कि नार्लीकर को न्यूटन के सेब के पेड़ की बजाय बरगद के पेड़ ने इस कार्य के लिए प्रेरित किया। 1997 और 2007 के बीच न्यूटन के 'एप्पल ट्री' को विकसित करने के लिए तीन प्रयास किए गए। रायचौधरी ने बताया कि कुछ पेड़ अच्छे से बढ़ रहे थे और उसमें सेब भी आ रहे थे, लेकिन एक पेड़ की 2007 के आखिर में खत्म हो गया|
चार महान वैज्ञानिकों के स्टेच्यू
इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स परिसर में चार महान वैज्ञानिकों के स्टेच्यू लगे हैं। इनमें गैलीलियो, आइंस्टीन, न्यूटन और आर्यभट्ट शामिल हैं। सेब के एक पेड़ को न्यूटन के स्टेच्यू के पीछे उगाया गया है, दूसरे को आइंस्टीन के पीछे और अन्य को पब्लिक साइंस पार्क में उगाया गया है। संस्थान के डायरेक्टर रायचौधरी के अनुसार, आइंस्टीन के स्टेच्यू के पीछे लगे पेड़ पर सूर्य की रोशनी पड़ती है, वो बढ़ता है और फल देता है। दूसरा पेड़ बढ़ तो रहा है लेकिन अभी वह फल नहीं देता।
न्यूटन पेड़ एक दशक तक रहे
1997 में संस्थान के कंपाउंड में दो एप्पल ट्री लगाए गए थे। इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स परिसर में न्यूटन पेड़ एक दशक तक रहे। लेकिन फिर वे सूख गए। पुणे के लगातार बढ़ते तापमान को इसकी वजह माना जा रहा है। अब यहां फिर से न्यूटन सेब के पेड़ों को विकसित किया जा रहा है।
भारतीय सेब के पेड़ पर न्यूटन ट्री थ्योरी
इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स संस्थान भारतीय सेब के पेड़ पर न्यूटन ट्री थ्योरी के विचार के साथ प्रयोग कर रहा है। रायचौधरी कहते हैं, मैंने इस विचार को पुनर्जीवित किया, लेकिन पेड़ों को पाने में बहुत मुश्किल है, क्योंकि बहुत से नियम और विनियम हैं।
कैंपस में न्यूटन ट्री नहीं
चौधरी ने कहा , 2007 से हमारे पास इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स कैंपस में न्यूटन ट्री नहीं है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सामान्य भारतीय सेब के पेड़ों को विकसित करना चाहते थे कि हम जानते हैं कि सेब के पेड़ कैसे विकसित करें।