गोलियों की बौछार भी पस्त नहीं कर पाई इन 4 IIT छात्रों के हौसले

भारत-पाकिस्तान में लाइन ऑउट ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आए दिन गोलीबारी होती रहती है। जिससे इस सीमा से लगे गांव के लोग इससे काफी परेशान रहते है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में एलओसी से करीब 15 किलोमीटर दूर बसे पुंछ के शिंद्रा गांव के इन 4 लड़कों आईआईटी में एडमिशन मिला है। यह गांव गुर्जर मुस्लिमों का पिछड़ा क्षेत्र में माना जाता है। जहां एक तरफ इस गांव में पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का असर दिखाई दे रहा है। वहीं इस गांव के 19 साल के शाहिद अफरीदी, उस्मान हाफिज (17), हिलाल अहमद (19), और आकिब मुज्तबा (18) ने आईआईटी में दाखिला पाकर अपने भविष्य को एक नई रौशनी दी है। साथ ही अपने गांव के लिए एक मिसाल पैदा की।

Update:2016-11-13 18:43 IST

पुंछ : भारत-पाकिस्तान में लाइन ऑउट ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आए दिन गोलीबारी होती रहती है। जिससे इस सीमा से लगे गांव के लोग इससे काफी परेशान रहते है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में एलओसी के करीब 15 किलोमीटर दूर बसे पुंछ के शिंद्रा गांव के चारों छात्र आईआईटी में पढ़ाई कर रहे है। यह गांव गुर्जर मुस्लिमों का पिछड़ा क्षेत्र में माना जाता है।

जहां एक तरफ इस गांव में पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का असर दिखाई दे रहा है। वहीं इस गांव के 19 साल के शाहिद अफरीदी, उस्मान हाफिज (17), हिलाल अहमद (19), और आकिब मुज्तबा (18) ने आईआईटी में दाखिला पाकर अपने भविष्य को एक नई रौशनी दी है। साथ ही अपने गांव के लिए एक मिसाल पैदा की।

इस फील्ड से कर रहे पढ़ाई

-शाहिद आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है।

-वहीं, आकिब भुवनेश्वर से मकैनिकल इंजिनियरिंग, उस्मान, आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग कर रहा है।

-हिलाल को आईआईटी पटना में एडमिशन मिला है। जहां वह कंप्यूटर साइंस से इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।

-शाहिद ने बताया कि आईआईटी में केवल इसलिए पढ़ सके क्योंकि हम भारत में है।

-उसने बताया कि शाहिद का कहना है कि हम आईआईटी में केवल इसलिए पढ़ सके क्योंकि हम भारत में हैं।

-दो साल पहले शाहिद को एक NGO के जरिए कोचिंग करने का मौका मिला था।

-शाहिद ने कहा कि 'मुझे गर्व होता है कि सीमावर्ती इलाके से होने के बावजूद मैंने यह सफलता हासिल की।'

भारत का करते है समर्थन

-बता दें कि इन चार छात्रों को मई में आईआईटी में दाखिले की खुशखबरी मिली थी।

-उसके दो महीने बाद ही आतंकी बुरहान वानी को एनकाउंटर में मार गिराया था।

-ये चारों युवा यह साबित किया है कि केवल बुरहान वानी और पत्थर फेंकने वाले युवा ही कश्मीर का चेहरा नहीं हैं।

-ये चारों युवा जम्मू और कश्मीर की नई पीढ़ी का नेतृत्व करते हैं और भारत का समर्थन करते हैं।

परिजनों का क्या कहना है?

-इनके साथ इन छात्रों के परिजन भी इनकी कामयाबी से काफी खुश हैं।

-इनका कहना है कि उनके बेटे आतंकवाद के साएं से दूर हैं, यह देखकर उन्हें खुशी मिलती है। इन्हें अपने बच्चों पर गर्व है।

-इनके माता-पिता का कहना है कि 'वे अपने सपने को पूरा कर रहे हैं।'

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