GTU: गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ 'हिंदू स्टडीज' कोर्स, मुस्लिम स्कॉलर्स कर रहे विरोध

GTU ने पीजी प्रोग्राम में हिंदुत्व दर्शन, हिंदुस्तान का इतिहास, संस्कृत, गीता, उपनिषद, वेद तथा अन्य विषय पढ़ाने की योजना बनाई गई है। जिसका मुस्लिम स्कॉलर विरोध कर रहे हैं।

Written By :  aman
Update: 2022-07-07 08:26 GMT

MA in Hindu Studies GTU (Photo- Social Media)

MA in Hindu Studies GTU : देश में 'हिंदुत्व' का मुद्दा इस कदर हावी है कि यह अब सड़क से शिक्षा संस्थानों की दहलीज तक पहुंच गया है। ताजा मामला गुजरात का है। गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (Gujarat Technological University) में इस साल से नए सत्र में कुछ कोर्स शुरू होने हैं, जिसका मुस्लिम समुदाय विरोध कर रहा है। दरअसल, गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी यानी GTU ने इस वर्ष से मास्टर ऑफ आर्टस् इन हिन्दू स्टडीज (Master of Arts in Hindu Studies) शुरू करने की घोषणा की है। एक तरफ जहां हिन्दू समुदाय इस कोर्स के पक्ष में खड़ा है वहीं मुस्लिम समुदाय की अपनी दलील है।  

इन दिनों गुजरात एक बार फिर सुर्ख़ियों में है, लेकिन बहस पढ़ाई को लेकर है। आपको बता दें कि, गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (GTU) इसी वर्ष नए शैक्षिक सत्र में मास्टर ऑफ आर्टस् इन हिन्दू स्टडीज शुरू करने की घोषणा की है। जिसके तहत मास्टर ऑफ़ आर्ट्स (MA) का कोर्स प्रारंभ हो रहा है। इस पीजी प्रोग्राम में हिंदुत्व दर्शन (Hindutva Darshan), हिंदुस्तान का इतिहास (History of Hindustan), संस्कृत (Sanskrit), गीता (Gita), उपनिषद (Upanishad), वेद (Veda) तथा अन्य विषय पढ़ाने की योजना बनाई गई है।  

4 सेमेस्टर की कोर्स फीस मात्र 25 हजार 

GTU मास्टर ऑफ आर्टस् इन हिन्दू स्टडीज के तहत जिन पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज को शुरू करने जा रहा है वह 2 वर्षों का है। अन्य कोर्स की ही तरह इस कोर्स में भी चार सेमेस्टर होंगे। लेकिन, छात्रों को सबसे आकर्षक इस कोर्स की फीस लग रही है। दो वर्ष की कोर्स की फीस महज 25 हजार रखी गई है।

कोर्स शुरू करने की वजह 

गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से संबंध रखने वाली डॉ. श्रुति ने अंग्रेजी पोर्टल 'इंडिया टुडे' को बताया कि, 'भूतकाल में हमें सिर्फ ब्रिटिश और मुगलों (British and Mughals) के बारे में बताया और पढ़ाया गया। भारत में कई ऐसे हिन्दू योद्धा (Hindu warrior) रहे हैं जिनका इतिहास में कोई जिक्र नहीं मिलता। उन्हें भुला दिया गया। वैसे हिन्दू वीर और योद्धाओं की बातें अभ्यासक्रम में जोड़ने की कोशिश की जा रही है। 

मुस्लिम पक्ष की अपनी दलील 

अब इन कोर्सों के शुरू होने प्रक्रिया मुस्लिम समुदाय (Muslim community)  को खटक रही है। हिंदू स्टडीज कोर्स (Hindu Studies Course) पर मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि इस कोर्स को करने के बाद कितने रोजगार मिल सकते हैं। उनकी दलील है कि कोर्स रोजगार प्रदान करने वाला होना चाहिए। वहीं, विश्व हिंदू परिषद (VHP) इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए आवश्यक बता रही है। उनका कहना है कि अगली पीढ़ी को अपने इतिहास के बारे में पता होना चाहिए। 

क्या कहना है कुलपति का? 

इस कोर्स के बारे में गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी (GTU) के कुलपति नवीन सेठ (GTU Vice Chancellor Naveen Seth) का कहना है कि विश्वविद्यालय ने ये कोर्स शुरू करने का फैसला इसलिए लिया है, ताकि हम अपनी संस्कृति से छात्रों को अवगत करा सकें। वहीं, हिन्दू संगठनों का कहना है कि यह प्रोग्राम आज के संदर्भ में जरूरी है।

जानें मुस्लिम और हिन्दू पक्ष की दलील 

अंग्रेजी न्यूज़ पोर्टल 'इंडिया टुडे' को मुस्लिम स्कॉलर दानिश कुरैशी ने बताया कि, 'इस तरह के कोर्स से नौकरी या रोजगार नहीं मिलता है। जिस कोर्स से रोजगार मिले ही न वैसे स्टडीज (Studies) का क्या मतलब है? वहीं, विश्व हिंदू परिषद, गुजरात (VHP) के प्रवक्ता हितेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि, 'हमारी संस्कृति के बारे में छात्रों को पता होना चाहिए। अगर उन्हें अपना इतिहास ही पता नहीं होगा तो भविष्य को स्पष्ट नजरिये से कैसे देख पाएंगे।'

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