मेहनत ही पूजा : चौथे दर्जे के कर्मचारी का बेटा बना IPS, ऐसे मिली सफलता

सफलता मिलने पर जीतनी खुशी होती है, उसे पाने के लिए दोगुनी-तिगुनी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसी ही कहानी है आईपीएस नूरुल हसन की। जिसने मुश्किलों से घिरे होने के बाद भी अपने लक्ष्य को हासिल किया और बुलंदियों को छूकर सारी लकीरे पार कर ली।

Update: 2019-11-03 05:08 GMT

नई दिल्ली : सफलता मिलने पर जीतनी खुशी होती है, उसे पाने के लिए दोगुनी-तिगुनी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसी ही कहानी है आईपीएस नूरुल हसन की। जिसने मुश्किलों से घिरे होने के बाद भी अपने लक्ष्य को हासिल किया और बुलंदियों को छूकर सारी लकीरे पार कर ली। आईपीएस नूरुल का मानना है आप किसी भी धर्म या जाति से हो। अगर आप में मेहनत से किसी भी हद को पार करने का दृढ़ संकल्प है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।

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नूरुल हसन किसी प्रेरणा से कम नहीं

जीं हां नूरुल हसन उत्तर प्रदेश पीलीभीत से हैं। महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी, नूरुल ने एक साल बीएआरसी में वैज्ञानिक के रूप में काम किया था।

आजकल के युवाओं के लिए सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक को पास करने वाले नूरुल हसन किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। जो देश की टॉप नौकरशाही परीक्षाओं को पास करने का सपना देखते हैं।

नूरुल हसन की प्रारंभिक शिक्षा पीलीभीत में हुई। लेकिन कुछ समय बाद उनके पिता को ग्रुप डी की नौकरी मिली और परिवार बरेली शिफ्ट हो गया। हालांकि उनके पिता के पास ग्रेजुएशन की डिग्री थी लेकिन अच्छी नौकरी न मिलने के कारण, उन्हें चौथे दर्जे के कर्मचारी के रूप में काम करते रहना पड़ा।

नूरुल हसन ने 2009 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बी.टेक की पढ़ाई पूरी की। यही वह जगह थी जहां उन्होंने खुद को विकसित कर सिविल सेवा और कॉर्पोरेट जगत के योग्य बनाया।

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उन्नति से संतुष्ट नहीं थे

जिस कोर्स के दौरान उन्होंने आर्थिक तंगी देखी उसे पूरा करने के बाद गुरुग्राम स्थित कंपनी में पहली नौकरी मिली। बाद में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) में ग्रेड 1 अधिकारी के रूप में जॉइन किया। यहीं पर 1 साल पूरा करने के बाद वे अपनी पेशेवर उन्नति से संतुष्ट नहीं थे।

फिर उन्होंने महसूस किया, मुझे तैयारी शुरू करने की ज़रूरत है। ताकि समाज में बेहतर तरीके से योगदान दे सकूं। फिर उन्होंने साल 2012 में तैयारी शुरू की। 2015 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 625वीं रैंक हासिल की।

परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए नुरूल ने कहा, असफलताओं से कभी न डरें। सिविल सेवा परीक्षा धैर्य और आत्मविश्वास की परीक्षा है। इसलिए असफल होने पर कोशिश करें अगली बार बेहतर करें और अंत में आपको सफलता जरूरी मिलेगी।

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