Good News: अब स्कूली बच्चों को नहीं दिया जाएगा होमवर्क, बस्ते का बोझ भी होगा सीमित

Update: 2018-11-26 12:06 GMT

नई दिल्ली: देशभर के छोटे स्कूली बच्चों के लिए अच्छी खबर है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को सर्कुलर जारी कर कहा है कि पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को स्कूल से होमवर्क नहीं दिया जाएगा।

पहली से लेकर 10वी क्लास तक के बच्चों के बस्ते का बोझ भी सीमित कर दिया गया है। इसके अलावा किताबें लाने के लिए भी बच्चों को बाध्य नहीं किया जाएगा। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को सर्कुलर जारी करते हुए आदेशों को पालन करने के निर्देश भी दिए हैं।

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आदेश में क्या दिए गए हैं निर्देश

सर्कुलर के अनुसार, पहली और दूसरी क्लास के छात्रों को अब होम वर्क नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा उनके स्कूली बस्ते का बोझ अधिकतम डेढ़ किलो होगा इस तरह उनके बस्ते को बोझ भी कम के दिया गया है। तीसरी से पांचवीं तक के कक्षाओं के छात्रों के लिए दो से तीन किलो, छठी से सातवीं तक के लिए चार किलो आठवीं से नवीं तक के किए साधे चार किलो और दसवीं क्लास के छात्रों के लिए पांच किलोग्राम वजन तक स्कूली बस्ते लाने की अनुमति दी गई है।

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इसके साथ ही स्कूल उन्हें अतिरिक्त बुक्स और अन्य सामग्री लाने का निर्देश भी नहीं दी सकते हैं। मंत्रालय ने पहली और दूसरी क्लास के छात्रों को केवल गणित और भाषा पढ़ाने की अनुमति दी है, जबकि तीसरी से पांचवीं कक्षा के छात्रों को गणित भाषा और सामान्य विज्ञान को ही पढ़ाने का निर्देश दिया है। जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) द्वारा मान्यता दी गई है। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वह इस दिशा में गाइडलाइन तैयार करें और इसे तत्काल प्रभाव से लागू करें।

केवल एनसीईआरटी पाठयक्रम की पुस्तकें अनिवार्य

कक्षा पहली व दूसरी के बच्चे को कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाएगा। इसके साथ-साथ कक्षा पहली से दूसरी तक भाषा, गणित विषय से संबंधित केवल दो ही किताबें अनिवार्य हैं, जबकि कक्षा तीसरी से पांचवीं तक भाषा, ईवीएस, गणित विषय की केवल एनसीईआरटी पाठयक्रम की पुस्तकें अनिवार्य की गई हैं।

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गौरतलब है कि पिछले कई सालों से स्कूली बस्ते का वजन कम करने की मांग की जा रही थी क्योंकि स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें चलाने के लिए स्कूली बस्ते को भारी कर रहे थे और होमवर्क से छोटे बच्चे और उनके अभिभावक भी परेशान थे।

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