अगले 5 साल में बैंकिंग कर्मचारियों की जॉब्स खतरे में, ये हैं वजह

अगले पांच साल में बैंकिंग जॉब्स में करीब 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। सिटीबैंक के पूर्व सीईओ विक्रम पंडित ने इंटरव्यू में कहा कि जिस प्रकार से बैंकों में रोबोट और ऑटोमेटिक मशीनरी का इस्तेमाल हो रहा है। इस हिसाब से यह अनुमान है कि बैंकिंग सेक्टर की जॉब्स में कमी आ सकती है।

Update:2017-09-15 15:02 IST

नई दिल्ली : अगले पांच साल में बैंकिंग जॉब्स में करीब 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। सिटीबैंक के पूर्व सीईओ विक्रम पंडित ने इंटरव्यू में कहा कि जिस प्रकार से बैंकों में रोबोट और ऑटोमेटिक मशीनरी का इस्तेमाल हो रहा है। इस हिसाब से यह अनुमान है कि बैंकिंग सेक्टर की जॉब्स में कमी आ सकती है।

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले कुछ सालों में आर्टिफि‍शियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के आने से बैंकों में कर्मचारियों की जरूरत कम हो जाएगी। इसकी शुरुआत हम अभी से देख पा रहे हैं, क्योंकि अब लोग बैंक ना जाकर इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सेवा का इस्तेमाल करने लगे हैं।

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मैन पॉवर की डिमांड घट रही

यह ऐसा पहली बार नहीं है कि जब बैंकिंग सेक्टर में जॉब्स को लेकर किसी ने बात की हो। इससे पहले BCG ग्रुप के सौरभ त्रिपाठी का कहना था कि बैंकों में छोटे लेवल जैसे डाटा एंट्री पोस्ट तक की जॉब्स मशीनरी और नई टेक्नोलॉजी के आने से समाप्त हो सकती हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी फर्म वॉल स्ट्रीट भी मशीन संचालन और क्लाउड कंप्यूटिंग सहित नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे संचालन ऑटोमोटिक हो सके। इससे मैन पॉवर की डिमांड घट रही है और कर्मचारियों को नई नौकरी खोजने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

रिटेल बैंकिंग में ऑटोमेशन के आने से लोगों की घटी डिमांड

मार्च 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिटेल बैंकिंग में ऑटोमेशन के आने से 2015 और 2025 के बीच में 30% लोगों की डिमांड कम हुई है, जिसके चलते अमेरिका में कुल 770,000 लोगों को पूर्णकालिक नौकरी छोड़नी पड़ी और यूरोप में लगभग 10 लाख लोगों की नौकरी चली गई.

बिजनेस टुडे की खबर के अनुसार, सब कुछ जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और नैचुरल लैंग्वेज में होता है उन सभी प्रॉसेस को आसान बनाया जा रहा है।

ये हैं कारण?

बता दें कि बैंकिंग सेक्टर में लगातार इनोवेशन और नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से काम को आसान बनाया जाने का प3यास है। बैंकों में डाटा एंट्री, रकम जमा करना, रकम निकालना, फॉर्म भरना आदि काम ऑनलाइन या मशीनरी से ही हो जाता है, जिसका असर बैंक कर्मचारियों की संख्या पर पड़ सकता है।

 

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