इनसे सीखें: एक ऐसी शिक्षिका जिसने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी जेब से खर्च कर दिए 2.50 लाख रुपये

ललिता सिसोदिया मल्हारगढ़ क्षेत्र के गरनई गांव के माध्यमिक विद्यालय में बतौर सरकारी शिक्षिका तैनात है। यहां पदस्थ एकमात्र शिक्षिका ललिता सिसोदिया का वेतन तो 35 हजार रुपये प्रतिमाह है, पर अपने पास से स्कूल पर लगभग 2.50 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी इनको शाबासी दे चुकी हैं।

Update:2018-12-23 16:33 IST

मंदसौर: मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की एक शिक्षिका ने। उसने अपने मेहनत और लगन से न केवल स्कूल की तस्वीर बदलकर रख दी। बल्कि अपने स्कूलों को जिले के अच्छे स्कूलों की लाइन में खड़ा कर दिया। तो आइये जानते है कौन है वो उस शिक्षिका और क्या है उसके संघर्षों की कहानी।

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ललिता सिसोदिया मल्हारगढ़ क्षेत्र के गरनई गांव के माध्यमिक विद्यालय में बतौर सरकारी शिक्षिका तैनात है। यहां पदस्थ एकमात्र शिक्षिका ललिता सिसोदिया का वेतन तो 35 हजार रुपये प्रतिमाह है, पर अपने पास से स्कूल पर लगभग 2.50 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं।

इस माध्यमिक विद्यालय की तीनों कक्षाओं में कुल 43 बच्चे हैं।

उनको पढ़ाने के लिए शासन की नीति अनुसार अतिथि शिक्षक नियुक्त नहीं हो सके तो इकलौती शिक्षिका ने स्वयं के खर्च से दो अतिथि शिक्षक रखे। जिन्हें वह साढ़े चार हजार रुपये मासिक वेतन देती हैं। शिक्षिका ने अपने ही खर्चे पर सभी छात्रों को जूते-मोजे और यूनिफॉर्म भी दिलाई। यही नहीं, स्कूल की दशा सुधारने पर ढाई लाख रुपये अब तक खर्च कर चुकी हैं। बच्चों को बेहतर माहौल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है।

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ क्षेत्र के गरनई गांव में मौजूद शासकीय माध्यमिक विद्यालय में पहुंचकर लगता ही नहीं है कि यह सरकारी स्कूल है। यहां एक-सी ड्रेस में अनुशासित बच्चे दिखते हैं, दीवारों पर संदेश लिखे हुए हैं, और दूर से किसी निजी स्कूल का आभास देता हुआ भवन है।

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वहीं अपने खर्च पर अतिथि शिक्षक रखकर बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित नहीं होने दे रही हैं। उनके कार्य की गूंज भोपाल तक पहुंची है और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी इनको शाबासी दे चुकी हैं। 2014 में गरनई के शासकीय माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका ललिता सिसोदिया पदस्थ हुई थीं। उस समय लगभग सात माह ही यहां रहीं, बाद में शासन ने बीएड करने उज्जैन भेज दिया।

इसके बाद लगभग डेढ़ साल पहले 24 मई, 2017 को शिक्षिका ललिता सिसोदिया ने प्रभारी प्रधानाध्यापिका के रूप में गरनई में शासकीय माध्यमिक विद्यालय में चार्ज लिया था। तब तक यहां का भवन भी सरकारी जैसा ही था।

शिक्षिका सिसोदिया ने पहले दिन ही ठान लिया था कि इस स्कूल की दशा और दिशा बदलनी है, क्योंकि उनकी सोच थी कि जब हम खुद भी साफ-सुथरे रहते हैं तो स्कूल भवन क्यों नहीं। उसके बाद से ही वह अपने काम में जुट गईं। उसने अपने मेहनत और लगन से न केवल स्कूल की तस्वीर बदलकर रख दी। बल्कि अपने स्कूलों को जिले के अच्छे स्कूलों की लाइन में खड़ा कर दिया।

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