स्वराज्य पर सवाल! LU वीसी ने वित्त अधिकारी को हटाया, वजह जानिए फिर सोचिए...
राजधानी स्थित लखनऊ यूनिवर्सिटी (एलयू) के वित्त अधिकारी सुरेश उपाध्याय को वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह ने गुरूवार (15 जून) को हटा दिया।
लखनऊ: राजधानी स्थित लखनऊ यूनिवर्सिटी (एलयू) के वित्त अधिकारी सुरेश उपाध्याय को वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह ने गुरूवार (15 जून) को हटा दिया। ये वही वित्त अधिकारी थे, जिन्होंने हाल ही में यूनिवर्सिटी में मनाए गए हिंदवी स्वराज्य दिवस के कार्यक्रम के लिए छात्र कल्याण निधि से बजट जारी करने पर आपत्ति जताई थी।
इस आपत्ति के बाद मामले ने तूल पकड़ा और कई स्टूडेंट्स ने कार्यक्रम के दिन सीएम योगी आदित्यनाथ का फलीट रोककर उन्हें काले झंडे दिखाए थे। सुरेश उपाध्याय की जगह आर्टस विभाग के डीन प्रोफेसर पीसी मिश्रा को वित्त अधिकारी का चार्ज दिया गया है।
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सीएम को काले झंडे दिखाने वाले मामले में एलयू में हुई ये पहली प्रशासनिक कार्यवाही है। सूत्रों का कहना है कि इस कार्यक्रम के आयोजक रहे एक कर्मचारी नेता की पैरवी पर वीसी ने वित्त अधिकारी को हटाया है।
योगी सरकार 'मुर्दाबाद' के लगे थे नारे
लखनऊ यूनिवर्सिटी के बाहर (7 जून) को सीएम योगी आदित्यानाथ की फ्लीट जैसे ही यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 1 पर पहुंची। समाजवादी छात्रसभा की नेता अपूर्वा वर्मा फ्लीट के आगे कूद गईं। इस पर पूरी फ्लीट पांच मिनट के लिए अचानक रूक गई। सीएम की फ्लीट रुकते ही समाजवादी छात्रसभा, आईसा, एसएफआई सहित अन्य छात्र संगठनों के छात्र नेता काले झंडे लेकर सीएम की गाड़ी के सामने आ गए। प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राएं सीएम को काले झंडे दिखाने के साथ साथ योगी सरकार मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे।
यहां तक एक प्रदर्शनकारी छात्र सीएम की गाड़ी के बोनट पर भी चढ़ गया। इसके बाद प्रशर्नकारी 14 छात्र-छात्राओं को हिरासत में ले लिया गया। सीएम फ्लीट को काले झंडे दिखाने पर अंकित सिंह, बाबू, अनिल यादव, माधुरी सिंह, विनीत कुशवाहा समेत कई स्टूडेंट्स को अरेस्ट कर लिया गया। इस केस में सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने योगी आदित्यनाथ के काफिले का रास्ता रोकने और उन्हें काला झंडा दिखाने के आरोप में लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) के 14 स्टूडेंट्स को गुरुवार (08 जून) को न्यायिक हिरासत में 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया।
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छात्रों ने सीएम पर लगाया 'जबरन भगवाकरण' का आरोप
लखनऊ यूनिवर्सिटी में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण पर्व को हिंदवी स्वराज्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। इसमें यूपी के गवर्नर राम नाईक संग सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोशियारी, बौद्ध भिक्षु और एलयू के वीसी प्रोफेसर एसपी सिंह, मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, मंत्री अनुपमा जायसवाल, विधायक नीरज बोरा सहित अन्य बड़े नेताओं, शिक्षकों, छात्रों, अभिभवकों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की थी।
समाजवादी छात्रसभा, आईसा, एसएफआई के छात्र नेताओं ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ छत्रपति शिवाजी महाराज के एक कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी आए थे। इस कार्यक्रम के जरिए स्टूडेंट्स पर जबरन भगवाकरण को थोपने की साजिश की जा रही थी। इसी साजिश के चलते छत्रपति शिवाजी के इस समारोह को हिंन्दवी साम्राज्योत्सव की संज्ञा दी गई। इसके अलावा इस कार्यक्रम में उपयोग में लिए जाने वाला धन छात्र कल्याण निधि से आहरित किया गया था। ये तानाशाही नहीं बर्दाश्त करेंगे इसीलिए काले झंडे दिखाकर विरोध किया।
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छात्र नेता पूजा शुक्ला ने बताया कि योगी सरकार की दमनकारी पुलिस और कंमांडो ने स्टूडेंट्स को अपराधियो की तरह पीटा। एक छात्र नेता अनिल यादव की टांग टूट गई। वहीं समाजवादी छात्रसभा के छात्रनेता अंकित सिंह बाबू घायल हो गए थे।
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इन पुलिसकर्मियों को किया गया था सस्पेंड
सीएम योगी को स्टूडेंटस द्वारा काले झंडे दिखाने के मामले में एसएसपी दीपक कुमार ने एक उपनिरीक्षक वीरेंद्र यादव और पांच सिपाहियों को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया था। जो लोग सस्पेंड हुए उसमें उपनिरीक्षक वीरेंदर यादव थाना चिनहट, कॉन्सटेबल अलाउददीन, कॉन्सटेबल जीवन सहाय, कॉन्सटेबल आत्मेन्दर सिंह, कॉन्सटेबल विजेंदर कुमार और थाना मलिहाबाद से डयूटी पर आए कॉन्सटेबल देवेंदर सिंह शामिल थे।
वीसी का पुतला फूंका
सीएम को काले झंडे दिखाने वाले सभी छात्र नेताओं को जेल भेज दिया गया था। इनकी रिहाई और एलयू वीसी के दमनकारी रवैये के खिलाफ गुरूवार को केकेसी महाविद्यालय के गेट पर छात्रनेता सतीश शर्मा, सुधांशु वाजपेई, अरविंद यादव, अनुराग पाल, दिलीप सिंह, विपुल यादव और अन्य स्टूडेंट्स ने मिलकर वीसी प्रोफेसर एसपी सिंह का पुतला फूंका।
क्या कहना है छात्रनेता सतीश शर्मा का ?
छात्रनेता सतीश शर्मा ने बताया कि हमारी मांग है कि सभी स्टूडेंट्स का निलंबन लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन वापस ले और स्टूडेंट के रूप में मिलने वाली समस्त सुविधाएं बहाल हों। इसके अलावा जेल में बंद सभी स्टूडेंट्स की जल्द रिहाई हो। जब तक ऐसा नहीं होगा दमनकारी प्रशासन के खिलाफ हम आवाज उठाते रहेंगे।
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