लखनऊ: इंटरमीडिएट के बाद बहुत से छात्र अपने करियर को लेकर चिंतित हो जाते हैं ऐसे में वह अपने आगे की पढ़ाई को लेकर सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। तमाम तरह की संभावनाओं भरी दुनिया में किसी भी फील्ड को चुनना किसी चेतावनी से कम नहीं है। आज newstrack.com आपको मेंटल हैल्थ के क्षेत्र में करियर बनाने की जानकारी दे रहा है। छात्र अपने बेहतर करियर के लिए इस क्षेत्र को भी चुन सकते हैं।
मेंटल का मतलब पागल नहीं होता है। कई कारणों से मानव शरीर में मानसिक तौर पर कमी आ जाती है। यह भी एक प्रकार का रोग है जिसका इलाज करवाने के लिए परामर्शदाता, अस्पताल या डॉक्टर के पास जाना होता है। इसके लिए अलग डॉक्टर होते हैं। ऐसा डॉक्टर बनने के लिए क्या करना चाहिए? और कहां पढ़ाई करनी चाहिए यहां से जानें।
मनोरोग चिकित्सा क्या है?
मनोरोग चिकित्सा मेडिकल की वह शाखा है जो भावना, संज्ञान और व्यवहार को प्रभावित करने वाले विभिन्न मानसिक विकारों या मनोरोगों के आकलन, पहचान, उपचार और प्रबंधन से जुड़ी है। मनोचिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल करने वाले डॉक्टरों को मनोरोग चिकित्सक कहा जाता है।
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मनोचिकित्सक मानसिक और शारीरिक तनावों का इलाज करता है
मनोरोग चिकित्सक एक डॉक्टर होता है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान और उपचार में विशेषज्ञता हासिल होती है। अपनी सघन और व्यापक मेडिकल ट्रेनिंग के दौरान, मनोचिकित्सक को मस्तिष्क के कार्यों और शरीर और मस्तिष्क के जटिल संबंधों को समझने का प्रशिक्षण मिलता है। वे मानसिक और शारीरिक तनावों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारणों को अलग-अलग चिन्हित कर पाने में सबसे ज़्यादा योग्य होते हैं।
यहां बना सकते हैं कॅरियर
1. क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट: मनोवैज्ञानिक तनाव को कम करने की कोशिश करता है, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। असामान्य मनोविज्ञान का अध्ययन करने वाले साइकोलॉजिस्ट ऐसे मरीज़ों का इलाज करते हैं जो चिंता, अवसाद, नशे की लत जैसे विकारों से पीड़ित हों।
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2. परामर्शदाता या काउंसलर: ऐसे लोगों के साथ काम करता है जिन्हें कोई चिंहित बीमारी न हो लेकिन उन्हें मानसिक स्वास्थ्य की समस्या हो। वे उन अंदरूनी समस्याओं का उपचार करते हैं जिनकी वजह से असंतुलन पैदा होता है। वे विविध प्रकार की समस्याओं के दायरे में काम करते हैं, जैसे शोक की अवस्था, अतीत और वर्तमान संबंधों से जुड़े मुद्दे, व्यवहारजन्य समस्याएं आदि. काउंसलर या परामर्शदाता लोगों की मदद उनकी प्रवृत्तिया बदलने, धूम्रपान छोड़ने या ज़्यादा अर्थपूर्ण तरीके से अपनी ज़िंदगियां बिताने में भी करते हैं।
3. स्कूल साइकोलॉजिस्ट: वे बच्चों और किशोरों के बीच काम करते हैं और उनकी सीखने की क्षमता और उनके विकास में मदद करते हैं। वे शैक्षणिक संस्थानों में भी काम करते हैं या उन सरकारी संस्थाओं में जो शैक्षिक नीतियां बनाती हैं।
4. फोरेंसिक साइकोलॉजिस्टः कानूनी प्रक्रियाओं के मनोवैज्ञानिक पहलुओं से जुड़े होते हैं। आपराधिक जांचो में सिद्धांत को लागू करते हैं, आपराधिक व्यवहार से जुड़ी मनोवैज्ञानिक समस्याओं को समझते हैं और अपराधियों को उपचार मुहैया कराते हैं। इन्हें क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट, लीगल साइकोलॉजिस्ट या क्रिमिनोलॉजिस्ट भी कहा जाता है।
5. न्यूरो साइकोलॉजिस्टः मस्तिष्क और उसके न्यूरो साइकोलॉजिकल कार्यों के बीच संबंधों पर काम करते हैं. जैसे दृष्टि, स्मृति, गंध आदि. मस्तिष्क की चोटों वाले मरीज़ों के पुनर्वास में भी वो मदद करते हैं या दूसरी स्नायु संबंधी बीमारियों मे जैसे दौरा, डिमेन्शिया, ट्यूमर, और मस्तिष्क की अन्य बीमारियां।
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6. ऑक्युपेश्नल/वोकेश्नल साइकोलॉजिस्ट: संस्थाओं की मदद करते हैं जिससे वे अपने कर्मचारियों से श्रेष्ठ हासिल कर सकें, उनकी कार्यक्षमता बढ़े और कर्मचारियों को अपने काम के प्रति संतुष्टि का अहसास हो। इस क्षेत्र में काम करने वाले साइकोलॉजिस्ट स्टाफ को प्रेरित करने, सर्वश्रेष्ठ लोगों की नियुक्ति करने, नए कौशलों से व्यक्तियों को लैस करने, वृत्तियो की योजना बनाने, और अतिरेक से निपटने की रणनीतियां बनाने में मदद करते हैं वे किसी खास काम के लिए व्यक्ति की उपयुक्तता को मापने के लिए मनोवैज्ञानिक टेस्ट डिज़ाइन करते हैं और उनका इस्तेमाल भी करते हैं।इसके अलावा रिहैबिलिटेशन ऑफिसर और रिसर्चर बनकर भी करियर बना सकते हैं।
मनोचिकित्सक कहां काम करते हैं?
मनोचिकित्सक विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं. क्लिनिकों में, सामान्य और मनोरोग के इलाज के लिए निर्धारित अस्पतालों, यूनिवर्सिटी के मेडिकल केंद्रों में, सामुदायिक एजेंसियों में, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में, नर्सिंग होम, पुनर्वास केंद्रों, औद्योगिक और सरकारी प्रतिष्ठानों में, रक्षा सेक्टर में, अदालतों और जेलों में, स्कूल और यूनिवर्सिटी में और अन्य बहुत सारी जगहों पर काम करते हैं।
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ऐसे करें पढ़ाई
इस क्षेत्र में साइकोलॉजी और साइकिएट्री दो विकल्प हैं दोनों में अच्छा करियर निर्मित कर सकते हैं। साइकोलॉजी के क्षेत्र में जाने के लिए किसी भी विषय समूह में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं करना जरूरी है। उसके बाद साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं।
साइकिएट्री क्षेत्र में
साइकिएट्री के क्षेत्र में जाने के लिए फ़िज़िक्स, कैमिस्ट्री व बायोलॉजी विषयों से 12 करना जरूरी है। उसके बाद मेडिकल प्रवेश परीक्षा देकर एमबीबीएस करना होता है। उसके बाद साइकिएट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन (एमडी या डिप्लोमा) करना होता है। डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड एग्ज़ाम भी कर सकते हैं।
इन संस्थानों में कर सकते हैं अध्ययन
साइकोलॉजी के लिए इन संस्थानों से करें पढ़ाई
लेडी श्रीराम कॉलेज नई दिल्ली
क्रिस्टु जयंती कॉलेज बेंगलुरू
फर्ग्युसन कॉलेज पुणे
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बेंगलुरू
जीसस एंड मेरी कॉलेज नई दिल्ली आदि।
विदेश में अध्ययन के संस्थान
विदेश में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले
मिशिगन यूनिवर्सिटी
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन
जैकब्स यूनिवर्सिटी ब्रेमेन
बोख़ुम यूनिवर्सिटी रूर आदि।
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साइकिएट्री के लिए इन संस्थानों से करें पढ़ाई
एम्स नई दिल्ली
एएमयू
आईआईटी खड़गपुर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस मुंबई आदि।
विदेश में अध्ययन के संस्थान
विदेश में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी यूएसए
किंग्स कॉलेज लंदन
येल यूनिवर्सिटी
कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट स्वीडन
एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी नीदरलैंड्स आदि।