बारहवीं और ग्रेजुएशन पास करने के बाद जो स्टूडेंट्स आईआईटी, एनआईटी, बिट्स या आईआईएएम या दूसरे मैनेजमेंट संस्थानों की प्रवेश परीक्षा पास कर अच्छी शाखा प्राप्त कर लेते हैं उनका पूरा परिवार खुश हो जाता है, लेकिन जिन्हें इन संस्थानों में दाखिला नहीं मिलता है उन्हें यह समस्या रहती है कि बच्चे को कौन से कॉलेज में प्रवेश दिलाएं। जबसे इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज व यूनिवर्सिटीज आई हैं तब से अभिभावक और ज्यादा असमंजस में हैं कि किस कॉलेज में अपने बच्चे का एडमिशन करवाएं। किसी भी संस्थान का चयन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि एक बार दाखिला मिलने के बाद फीस के साथ स्टूडेंट्स का पूरा साल और कॅरियर भी बर्बाद हो जाता है। जानते है इसके बारे में।
शैक्षणिक संस्थान के वातावरण, कक्षा, लैब, लाइब्रेरी और संस्थान की वेबसाइट आदि का अच्छी तरह से निरीक्षण करें और पता लगाएं कि वहां शिक्षा का स्तर कैसा है? क्योंकि कुछ कॉलेजों में न तो अच्छी तरह से क्लासेज होती हैं, न ही लैब होती है और न ही प्रोजेक्ट्स संबंधित गतिविधियां होती हैं। ऐसे में बच्चा कुछ भी नहीं सीख पाता है। संभव हो तो संस्थान में पहले पढ़ चुके छात्रों से भी इस बारे में जानकारी जुटाएं।
कॉलेज की मान्यता पता करें
हायर एजुकेशन की कोई भी संस्था सरकारी नियमानुसार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या किसी तकनीकी संस्था से मान्यता प्राप्त होती है। दाखिले से पहले पता करें कि उसकी मान्यता है या नहीं? इसका सत्यापन विश्वविद्यालय या एआईसीटी की वेबसाइट से कर सकते हैं। इसके साथ ही मान्यता देने वाली यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से भी जानकारी कर सकते हैं। क्या उक्त संस्था राष्टï्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् द्वारा प्रमाणित की गई है? संस्थान की मान्यता जानने के लिए वेबसाइट पर कई हेल्पलाइन नंबर भी होते हैं जिस पर फोन कर सकते हैं।
फैकल्टी के बारे में जानें
संस्थान की इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छवि व प्रतिष्ठा कैसी है? संस्थान के प्रिंसिपल तथा उस शाखा में पढ़ाने वाली फैकल्टी की शैक्षणिक योग्यता क्या है, कहां से पढ़ाई की है? अनुभव क्या है तथा उनका इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रिसर्च पेपर, किताब लेखन, वर्कशॉप तथा सेमिनार के जरिए योगदान क्या है? इस बाबत वहां पढऩे वाले तथा पास हो चुके विद्यार्थियों से विचार-विमर्श करना चाहिए। किसी की कही-सुनी बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
सुविधाओं का परीक्षण करें
कॉलेज में दाखिला लेने के बाद अगर आप अपने बच्चे को हॉस्टल में रखना चाहते हैं तो वहां के कमरे, खाने-पीने का स्तर, रहन-सहन एवं साफ-सफाई, अन्य तकनीकी सुविधाएं, रखरखाव,सुरक्षा तथा मेडिकल सुविधाओं का परीक्षण करना चाहिए। कुछ संस्थान अलग-अलग सुविधाओं जैसे इंटरनेट, एसी लाइब्रेरी, इंग्लिश क्लासेज, विदेशी भाषा के लिए शुल्क लेते हैं। आपको इन शुल्क की अवधि और बढ़ोतरी के बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इसके बाद ही दाखिला लेना ठीक रहता है।
कैंपस प्लेसमेंट के बारे में पता करें
अपने बच्चे का दाखिला जिस भी संस्थान कराना चाहते हैं उसके प्लेसमेंट अधिकारियों की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और संस्थान द्वारा बताए गए प्लेसमेंट्स की वास्तविकता की जांच-परख करनी चाहिए। हो सके तो उस संस्थान से पढ़ाई करने के बाद नौकरी पाने वाले बच्चों से भी संवाद करना चाहिए। पता करें कि वहां पर प्रोजेक्ट्स संबंधित गतिविधियां होती हैं या नहीं। इसके लिए किस स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हैं?