NCERT ने पाठ्यपुस्तक मामले में दी सफाई, कहा- स्थानीय भाषाओं को बच्चों तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य
NCERT का कहना है कि ये कविता स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुँचाने के उद्देश्य से शामिल किया है।
NCERT: एनसीईआरटी (NCERT) किताब में छपी एक कविता 'आम की टोकरी' को लेकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा खड़ा हो रहा है। इस कविता को पाठ्यपुस्तक से बाहर करने के लिए छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अवनीश शरन (Awanish Sharan) ने भी मांग की है। इसी कविता को लेकर एनसीईआरटी (NCERT) ने सफाई दी है। एनसीईआरटी (NCERT) का कहना है कि ये कविता स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुँचाने के उद्देश्य से शामिल किया है। वहीं एनसीईआरटी (NCERT)के ऐसे बयान पर लोगों की प्रतिक्रिया भी शामिल आई है।
एनसीईआरटी (NCERT)ने अपने आधिारिक ट्विटर अकाउंट पर कविता को लेकर ट्वीट किया है। एनसीईआरटी (NCERT) ने लिखा है, "एन.सी.एफ-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुँचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ये कविताएं शामिल की गई हैं ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके।"
कविता को लेकर NCERT ने किया ट्वीट
एनसीईआरटी (NCERT) ने अपने अगले ट्वीट में कहा है, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा।"
सोशल मीडिया पर लोगों का फूटा गुस्सा
बता दें कि कविता 'आम की टोकरी' को लेकर लोगों में पहले से ही गुस्सा देखने को मिल रहा है, वही एनसीईआरटी (NCERT) के पोस्ट के बाद लोगों में और भी आक्रोश देखने को मिला है। एनसीईआरटी (NCERT) के इस पोस्ट पर एक यूजर ने सवाल खड़ा करते हुए लिखा है, "ये कौन से स्थानीय भाषा है, अगर कुछ आवारा लोग बोल चाल में गाली का भी प्रयोग करेंगे, तो क्या आप उसे स्थानीय भाषा मान लोगें। और 6 साल की बच्ची से आम बिकवा कर बाल मजदूरी भी प्रर्दशित हो रही है।"
वहीं एक दूसरे यूजर ने नाराजगी जताते हुए लिखा है, "आपने खुद अपने जीवन में बच्चों से सामान खरीदा होगा। तब इसका ख्याल आपको क्यों नही आया? आज के लोगो की दिक्कत ये है कि विरोध करना है, लेकिन अपने अंदर कोई नही झांकता।"
इसी क्रम में एक अन्य यूजर ने लिखा, "कम से कम मर्यादित भाषा का चयन करना, तो अच्छे शिक्षक का कर्तव्य है, NCRT वाले तो ज्यादा समझदार होते है तो फिर ये ऐसी भाषा कैसे शामिल की गई। जब हम E फॉर Egg Egg भी याद कर लेते है, औरE फॉर Elephant Elephant भी याद कर लेते है, फिर ये तेशिक्षक के ऊपर है उसकी मानसिकता कैसी है।"
एक दूसरे यूजर ने भी नाराजगी व्यक्त करते हुए लिखा है, "स्थानीय भाषा और फूहड़ भाषा में फर्क होता है। समझ में तुम्हें आने नही देंगे, वामपंथी विचारधारा के जो भरे पड़े है शिक्षा विभाग में वो लोग।" सोशल मीडिाया पर ऐसे कई यूजर्स है, जो एनसीईआरटी (NCERT) की इस कविता का विरोध कर रहे हैं।
क्या है मामला
बताते चलें कि यहां जिस कविता की बात की जा रही हैं, वो नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की कक्षा एक में पढ़ाई जा रही कविता 'आम की टोकरी' है। एनसीईआरटी (NCERT) की किताब रिमझिम 1 में शामिल इस कविता की काफी ज्यादा आलोचना की जा रही है और इसे बुक से हटाने की मांग की जा रही है। जिस वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर #NCERT ट्रेंड कर रहा है।