NCERT का सुझाव: अपनी मातृभाषा में 8वीं तक बच्चों को पढ़ाया जाए

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (NCERT) ने मोदी सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति को तैयार किया जा रहा है। इसी के संदर्भ में एनसीआटी ने सुझाव दिया कि 8वीं क्लास तक बच्चों को उसकी मातृभाषा में ही पढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा सरकार को ऐसे कई सुझाव, सांसदों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, एनजीओ, अल्पसंख्यक संस्थानों और राज्यों से मिले हैं।

Update: 2016-11-06 11:22 GMT

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (NCERT) ने मोदी सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति तैयार होने जा रही है। इसी के संदर्भ में एनसीआरटी ने सुझाव दिया कि 8वीं क्लास तक बच्चों को उसकी मातृभाषा में ही पढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा सरकार को ऐसे कई सुझाव, सांसदों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, एनजीओ, अल्पसंख्यक संस्थानों और राज्यों से मिले हैं।

गौरतलब है कि साल 1986 में देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई थी। साल 1992 में उसमें कुछ संशोधन किए गए थे। इसके बाद से सामाजिक-आर्थिक परिवेश में कई बदलाव आ चुके हैं। इसलिए सरकार अब नई शिक्षा नीति बनाने जा रही है। हालांकि सरकार पर कई लोगों ने यह आरोप लगाया है कि सरकार शिक्षा का भगवाकरण करना चाहती है, इसीलिए नई शिक्षा नीति बना रही है।

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स्मृति ईरानी के कार्यकाल में भी मांगा सुझाव

-इन लोगों ने प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में ढांचागत बदलाव के लिए सुझाव दिए हैं।

-पिछली मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यकाल में ही नई शिक्षा नीति पर विशेषज्ञों से सुझाव मांगा गया था।

-हालांकि, शिक्षाविदों से प्राप्त कुछ सुझावों पर विवाद पैदा हो गया था।

-मौजूदा एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई शिक्षा नीति पर फिर से राजनीतिक दलों और शिक्षाविदों से सुझाव मंगवाए।

-कई सांसदों ने अपने-अपने सुझाव मंत्रालय को भेजे हैं।

-अब मंत्रालय सांसदों के उन सुझावों पर चर्चा के लिए 10 नवंबर को एक कार्यशाला आयोजित करने जा रहा है।

-माना जा रहा है कि इस कार्यशाला में मंत्रालय के बड़े अधिकारी विचार मंथन से उपजे तथ्यों को नई शिक्षा नीति में शामिल कर सकते हैं।

सभी ने दिए अपने-अपने सुझाव

-राज्य सभा सांसद और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि स्कूल सिलेबस में बच्चों के पसंदीदा खेल शामिल होना चाहिए।

-उनका कहना है, इससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास भी हो सके।

-राज्य सभा सांसद राजकुमार धूत ने कहा, सुबह 9:30 बजे से पहले कोई भी स्कूल नहीं खुलने चाहिए।

-इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्री स्कूलिंग की व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए। इससे बच्चों का बचपन बचाया जा सकता है।

-मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति पर सुझाव देने की आखिरी तारीख 30 सितंबर तय की थी।

-पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्मणियन की अध्यक्षता वाली समिति ने प्राप्त सुझावों में से कुछ सुझावों को मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया है। -अब मंत्रालय कार्यशाला आयोजित कर इन सुझावों को अंतिम रूप देने में जुटा है।

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