NEET PG Counselling 2021: NEET PG काउंसलिंग पर लगेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए निर्देश
NEET PG Counselling 2021: सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले नीट अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से कहा...
NEET PG Counselling 2021 : सर्वोच्च अदालत ने ने केंद्र सरकार से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट-पीजी (NEET PG) के लिए होने वाली काउंसलिंग को तब तक के लिए टालने(NEET PG counseling par lagegi rok) को कहा है, जब तक कि वह अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) में ओबीसी, आर्थिक रूप से कमजोर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण शुरू करने के केंद्र के फैसले की वैधता का फैसला नहीं कर लेता। सोमवार (25 अक्टूबर, 2021) को सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ये बातें कही।
सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले नीट अभ्यर्थियों (NEET PG counseling par lagegi rok) की ओर से वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से कहा, कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की आधिकारिक सूचना के अनुसार, काउंसलिंग का रजिस्ट्रेशन 25 अक्टूबर, 2021 यानी आज से शुरू होने हैं।
उन्होंने अदालत से इसमें हस्तक्षेप का आग्रह किया। जिसके बाद कोर्ट ने उक्त बातें कही। यहां, सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस के लिए वार्षिक आय मानदंड के रूप में आठ लाख रुपए की सीमा तय करने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए हैं।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने दिया आश्वासन
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के.एम. नटराज की ओर से दिए गए आश्वासन को दर्ज कर लिया है। साथ ही, यह माना कि अगर काउंसलिंग प्रक्रिया आगे बढ़ती है, तो मेडिकल स्टूडेंट्स (NEET PG counseling par lagegi rok) मुश्किल में पड़ जाएंगे।
इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने सर्वोच्च न्यायालय को आश्वासन दिया, कि नीट-पीजी के लिए काउंसलिंग तब तक शुरू नहीं होगी, जब तक कि कोर्ट अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों या ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण शुरू करने के केंद्र के अखिल भारतीय कोटा फैसले की वैधता का फैसला नहीं कर लेता।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से पूछे थे कई सवाल
उल्लेखनीय है, कि इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (21 अगस्त, 2021) को सुनवाई के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए 8 लाख रुपए की वार्षिक आय के मानदंड अपनाने पर केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे थे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने इस मुद्दे पर केंद्र द्वारा हलफनामा दाखिल नहीं करने पर नाराजगी भी जताई थी।
OBC और EWS श्रेणियों के लिए समान मानदंड क्यों?
पीठ ने ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर के लिए आठ लाख रुपए के मानदंड का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया। पूछा, कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के लिए समान मानदंड कैसे अपनाया जा सकता है? जबकि, ईडब्ल्यूएस में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है।