चमत्कार कर सकती थीं मदर टेरेसा! भारत संग रिश्ता इसलिए है ख़ास...

मदर टेरेसा, ये वो नाम है जिसका पूरा विश्व सम्मान करता है।वहीं शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाली टेरेसा का भारत प्रेम तो जग जाहिर है। 6 जनवरी 1929.. आज ही का दिन था, जब मदर टेरेसा भारत आई थीं।

Update: 2020-01-06 10:00 GMT

दिल्ली: मदर टेरेसा (Mother Teresa), ये वो नाम है जिसका पूरा विश्व सम्मान करता है।वहीं शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाली टेरेसा का भारत प्रेम तो जग जाहिर है। 6 जनवरी 1929.. आज ही का दिन था, जब मदर टेरेसा भारत आई थीं। उनकी दरियादिली, नेकी और गरीबों व पीड़ितों के लिए प्रेम से वो विश्वभर में जानी जाती है। हर देश उनको अपनी नागरिकता दे सकता था लेकिन उन्होंने भारतीयता अपनाई। हालाँकि फिर भी दुनिया का ऐसा कोई भी प्रतिष्ठित अवार्ड नहीं है, जिससे उन्हें नवाजा नहीं गया।

जाने मदर टेरेसा के बारे में:

मदर टेरेसा ने आज के दिन भारत आई थीं और फिर यहीं की हो कर रह गयी। साल 1947 में ही भारत की नागरिकता ले ली। वो फर्राटे से बंगाली बोलती थीं। बता दें कि उनका असली नाम एग्नेंस गोंझा बोयाजिजू था। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को यूगोस्लाविया में हुआ था। जब वो सिर्फ 9 साल की थीं, उनके सिर से पिता का साया उठ गया। मां पर घर की जिम्मेदारी आ गई।

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इसके बाद मदर टेरेसा ने सिलाई कढ़ाई करके अपनी मां का हाथ बंटाया। शायद अपनी जिन्दगी में बचपन से अभाव देखने के कारण ही उनके दिल में गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए अपार प्रेम घर कर गया। जिसके बाद उनकी जिन्दगी में बस लोगों की मदद करना ही रह गया।

तो क्या चमत्कार कर सकती थीं मदर टेरेसा

उनके लिए अक्सर कहा जाता था कि उन्होंने कई बार चमत्कार किए। दरअसल, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने मदर टेरेसा को चमत्कारी बताया था। उन्होंने मदर टेरेसा के बारे में बताया था कि एक बार वो रोम से फ्लाइट से आ रही थीं। उनकी फ्लाइट बीस से पच्चीस मिनट लेट थी। दिल्ली एयरपोर्ट पर वो जैसे ही उतरीं उन्होंने बोला कि उन्हें कोलकाता की कनेक्टिंग फ्लाइट लेनी है।

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मदर टेरेसा लेट हो चुकी थीं। कोलकाता का प्लेन बोर्ड हो रहा था। उन्हें एक रात के लिए कोलकाता में रुकने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वो एक बच्चे की दवाई ले कर जा रही हैं। बच्चे को दवाई मिलना बेहद जरुरी है। लोग एयरपोर्ट पर उनका ऑटोग्राफ मांग रहे थे लेकिन वो उनसे कोलकाता पहुंचाने की मदद मांग रही थीं। ये बात किसी तरह से कंट्रोल टावर तक पहुंच गई। पायलट को इस बारे में पता चला तो उसने नियमों की अनदेखी करके जहाज को लेट कर दिया।

भारत से रिश्ता ख़ास:

मदर टेरेसा जब भारत आई तो कोलकाता के सेंट टेरेसा स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। यहां उन्होंने पहली बार भारत की भयावह गरीबी, भुखमरी, लाचारी और बेबसों की मजबूरी देखी। हालंकि वो भारत से लौट गयी लेकिन भारतीयों के लिए कुछ करने की इच्छा उन्हें वापस ले आई। वापस लौटीं तो सबसे पहले यहां के गरीबों के लिए स्लम स्कूल खोला।

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