Allahabad University: इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोमॉर्फोलॉजिस्ट के अध्यक्ष बने प्रोफेसर डे
Allahabad University: IAG दुनिया में पेशेवर भू-आकृति विज्ञानियों का प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है और भू-आकृति विज्ञान में शिक्षा और अनुसंधान को सुधारने और प्रचारित करने के लिए समर्पित है।;
Professor Dey became the President of the International Association of Geomorphologists (Social Media)
Allahabad University: पुर्तगाल में आयोजित दसवीं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोमॉर्फोलॉजिस्ट (IAG) ने शुक्रवार को नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुनील कुमार डे को अपना 9 वां अध्यक्ष चुना। IAG दुनिया में पेशेवर भू-आकृति विज्ञानियों का प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है और भू-आकृति विज्ञान में शिक्षा और अनुसंधान को सुधारने और प्रचारित करने के लिए समर्पित है। प्रो.डे वर्तमान में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोमॉर्फोलॉजिस्ट (IGI) के उपाध्यक्ष हैं।
IGI की स्थापना भारत के प्रसिद्ध भुआकृतिविज्ञानी प्रो.सविंद्र सिंह की अगुवाई में 1987 में भूगोल विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई जो इसका मुख्यालय भी है। यह IGI और सम्पूर्ण देश के लिए गर्व का विषय है कि प्रोफ़ेसर डे पहले भारतीय, पहले एशियाई और विकासशील देश से अध्यक्ष चुने जाने वाले पहले व्यक्ति हैं।
IAG के पूर्व अध्यक्षों में इटली के प्रो.मौरो सोल्दाती और प्रो.मारियो पनिज़ा, फ्रांस के प्रो.एरिक फ़ाउचे, यूनाइटेड किंगडम के प्रो.एंड्रयू गौडी जैसे विशिष्ट भू-आकृतिविज्ञानी शामिल हैं।
प्रोफेसर सुनील कुमार डे
इस तिथि को होगा IGI का 34वां राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और आईजीआई के वर्तमान महासचिव प्रोफेसर अज़ीज़ुर रहमान सिद्दीकी ने इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रोफेसर डे को शुभकामनाएं दीं और उन्हें IAG के पहले भारतीय अध्यक्ष के रूप में बधाई दी।
उन्होंने यह भी बताया कि 2 से 4 नवंबर के मध्य IGI का 34वां राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में होना सुनिश्चित हुआ है जिसमें देश भर के भूआकृतिविज्ञानी अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।
क्या है आईएजी
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोमॉर्फोलॉजिस्ट (आईएजी / एआईजी) एक वैज्ञानिक, गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता और भू-आकृति विज्ञान के ज्ञान प्रसार के माध्यम से भू-आकृति विज्ञान के विकास और संवर्धन से हैं। अंतर्राष्ट्रीय भू-आकृति विज्ञान को मजबूत करने के लिए 1989 में फ्रैंकफर्ट (जर्मनी) में भू-आकृति विज्ञान की स्थापना की गई थी।