IMPACT: आधा सेशन बीतने के बाद भी नहीं मिलीं बच्चों को किताबें, हाईकोर्ट में अधिकारी तलब

न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के पाठ्य पुस्तक अधिकारी को 19 अक्टूबर को न्यायालय के समक्ष पूरे रिकॉर्ड के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया है। न्यायालय ने किताबों के वितरण का पूरा ब्योरा जनपदवार भी मांगा है।

Update: 2016-10-18 16:06 GMT

लखनऊ:Newstrack की खबर का असर हुआ है। प्राथमिक विद्यालयों का आधा सत्र बीत जाने और छमाही परीक्षाएं सिर पर होने के बावजूद किताबें न बांटे जाने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। बतादें, कि राज्य सरकार अब तक बच्चों को किताबें बांटने का ही काम पूरा नहीं कर सकी है। इस संबंध में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष सर्व सेवा ट्रस्ट की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई है। जिस पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के पाठ्य पुस्तक अधिकारी को पूरे रिकॉर्ड के साथ तलब कर लिया है। बता दें, कि Newstrack ने इस सिलसिले में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी।

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परीक्षा की तैयारी, नहीं मिली किताब

-याची के अधिवक्ता शशांक सिंह ने अदालत में दलील दी कि वर्तमान अकादमिक सत्र अप्रैल 2016 से शुरू हुआ था, लेकिन अब तक बच्चों को किताबें बांटने का काम पूरा नहीं किया गया है।

-किताबें तमाम जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में पड़ी हुई हैं जिन्हें बच्चों के लिए वितरित करने में घोर लापरवाही बरती जा रही है।

-वहीं, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने पाठ्य पुस्तक अधिकारी से मिले निर्देश के अनुसार न्यायालय को जानकारी दी।

-राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि कुल 10 करोड़ 43 लाख पुस्तकों का वितरण होना था जिसमें से 8 करोड़ 43 लाख पुस्तकों का वितरण किया जा चुका है।

न्यायालय का कड़ा रुख

-मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एपी शाही और न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि किताबों के वितरण का काम अभी भी जारी है।

-न्यायालय ने कहा कि ऐसी स्थिति को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। अकादमिक सत्र 1 अप्रैल 2016 से शुरू हो चुका है लेकिन अब तक किताबों को बांटने का ही काम हो रहा है।

-न्यायालय ने कहा कि इनके वितरण के कार्य पर क्या कहा जाए।

अधिकारी तलब

-न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के पाठ्य पुस्तक अधिकारी को 19 अक्टूबर को न्यायालय के समक्ष पूरे रिकॉर्ड के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया है।

-न्यायालय ने किताबों के वितरण का पूरा ब्योरा जनपदवार भी मांगा है।

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