सुधांशु सक्सेना
लखनऊ। यूपी बोर्ड परीक्षा के फाइनल प्रैक्टिकल में इस बार भी बच्चे जर्जर लैबों और धूल जमे उपकरणों से प्रैक्टिकल करने पर मजबूर होंगे। 15 दिसंबर से शुरू होने वाली प्रयोगात्मक परीक्षाओं में अब चंद दिन ही शेष हैं लेकिन राजधानी के स्कूलों की लैबों का ताला तक जिम्मेदार अधिकारी नहीं खुलवा पाए हैं। ऐसे में सबसे बड़ा बोर्ड माने जाने वाले यूपी बोर्ड की परीक्षाएं हर साल की तरह इस साल भी रामभरोसे ही संपन्न होने की नौबत आ गई है।
केस नंबर 1: सालों से नहीं खुला ताला
राजधानी के सदर इलाके के हरीचंद इंटर कालेज की लैब पिछले कई सालों से नहीं खुली है। यहां पढऩे वाले दसवीं और बारहवीं के बच्चों ने बताया कि प्रैक्टिल नहीं हुए हैं। बस किताब से पढ़ा दिया गया है। मास्टर साहब कहते हैं कि ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस कालेज के दो कमरों में साइंस लैब बनी हैं। लेकिन जबसे पढ़ रहे हैं, तबसे यहां ताला ही लगा हुआ है। जब भी प्रैक्टिल परीक्षा होती है तो दूसरे कमरे में परीक्षा की व्यवस्था कर दी जाती है। स्कूल के प्रशासनिक कार्यों से जुड़े एक टीचर के अनुसार एक अन्य कमरे में प्रैक्टिल परीक्षाओं की बढिय़ा व्यवस्था की गई है। हर साल ऐसे ही काम चलाया जाता है। कहीं कोई दिक्कत नहीं होती है।
केस नंबर 2: लैब में जाने का रास्ता ही नहीं
राज्य सरकार से सहायता प्राप्त दिगंबर जैन इंटर कालेज का हाल ही बेहाल है। पिछले दिनों जिला विद्यालय निरीक्षक डा मुकेश कुमार सिंह ने निरीक्षण के दौरान जब यहां की साइंस लैब में जाने की इच्छा जाहिर की तो मौके पर मौजूद स्कूल प्रशासन ने उन्हें चाय नाश्ते में उलझाने की कोशिश की। बाद में जब उन्हें इंटर कालेज में तीसरे तल पर बनी लैब में दिखायी गयी तो लैब की स्थिति देखकर अधिकारी महोदय दंग रह गए।
लैब के बाहर जर्जर दरवाजे पर जंग लगा ताला लगा था। लैब के 10 मीटर पहले ही पीपल का पेड़ उगा हुआ था और टूटे हुए ईंट, गुम्मे और झड़ा हुआ प्लास्टर पड़ा था। कोने में कूड़े का ढेर था। ऐसे में लैब में प्रवेश करने का रास्ता ही नहीं सूझा। जब कालेज के बच्चों से बात की गई तो पता चला कि उन्होंने तो आज तक लैब का मुंह ही नहीं देखा है। ऐेसे में 15 दिसंबर से होने वाले प्रैक्टिल में वह क्या करने वाले हैं, इसका उन्हें कोई आइडिया नहीं है। जब इस बाबत प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने एक शिक्षक जेपी पांडे का नाम लेकर बताया कि वह लैब इंचार्ज हैं लेकिन उनकी लापरवाही से ही पूरे साल एक भी प्रैक्टिल नहीं हो पाया है।
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केस नंबर 3: उपकरण न स्पेसिमन, क्या सिखाएं गुरूजी
100 साल से ज्यादा पुराने राजकीय हुसैनाबाद इंटर कालेज की लैब का भी हाल बेहाल है। यहां प्रैक्टिकल के उपकरणों जैसे बीकर, टेस्ट ट्यूब या फार्मेलीन में डूबे स्पेसिमन कुछ भी नहीं है। एक दो स्पेसिमन हैं तो वह भी इतने पुराने कि उनमें से सड़ांध आती है। धूल की मोटी परतें जमी हैं। ऐसे में गुरूजी बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देने में खुद को अक्षम महसूस कर रहे हैं। स्कूल प्रशासन के अनुसार जितने भी उपकरण मौजूद हैं उसी से प्रैक्टिकल करवा लेते हैं। जल्द इसमें सुधार किया जाएगा। बोर्ड परीक्षा के प्रैक्टिकल भी हर साल की तरह अच्छे से करवाए जाएंगे।
बोर्ड के मानकों के अनुरूप नहीं है लैब्स
माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक डॉ आर पी मिश्र ने कहा कि कई स्कूलों की लैबों की हालत बहुत खराब है। विभाग को इस बारे में लिखो तो कोई कार्यवाही नहीं होती है। ज्यादातर विदयालयों में प्रैक्टिकल न के बराबर ही होते हैं। थ्योरी पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है। हर विषय के कम से कम 20 सेशन प्रैक्टिकल के होने आवश्यक हैं। लेकिन दर्जनों स्कूलों में अभी एक भी चैप्टर भी नहीं पढ़ाया जा सका है। ऐसे में पास आती परीक्षा की घड़ी ने स्टूडेंट्स की परेशानी बढ़ा दी है।
नहीं मिलता कोई अनुदान
माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक डॉ आर पी मिश्र ने बताया कि पहले विज्ञान की लैब में उपकरण आदि के लिए शुल्क लेने की व्यवस्था थी। लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। इसके अलावा राज्य सरकार से अनुदान भी सहायता प्राप्त स्कूलों को नहीं मिलता है। ऐसे में लैबों में उपकरण आदि के न होने के पीछे शासन ही जिम्मेदार है। कई बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया।
15 दिसंबर से हैं प्रयोगात्मक परीक्षा
बोर्ड की प्रयोगात्मक परीक्षा 15 दिसंबर से 13 जनवरी तक अलग अलग तिथियों में होनी हैं। पहले चरण में 15 दिसबंर से 29 दिसंबर तक लखनऊ के अलावा आगरा, सहारनपुर, बरेली, झांसी, चित्रकूट, फैजाबाद, देवीपाटन और बस्ती मंडल के एग्जाम होंगे। वहीं दूसरे चरण के प्रैक्टिकल एग्जाम 30 दिसंबर से 13 जनवरी तक होंगे।
50-50 बंटेंगे इंटरनल और एक्सटर्नल के नंबर
माध्यमिक शिक्षा की सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाओं में निर्धारित माक्र्स में से 50 अंक इंटरनल एगजामिनर और 50 अंक एक्सटर्नल एग्जामिनर देंगे। इसी तरह व्यक्तिगत स्टूडेंट्स के लिए जो स्कूल केंद्र बनेंगे, उनमें से संबंधित विषयों के अध्यापक 50 प्रतिशत अंक इंटरनल इवैल्यूएशन के तहत और 50 प्रतिशत अंक एक्सटर्नल इवैल्यूएशन के तहत देंगे। दूसरी ओर हाईस्कूल में प्रैक्टिकल एग्जाम इंटरनल इवैल्यूएशन के आधार पर होंगे। ये नंबर माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर आनलाइन अपलोड किए जाने की व्यवस्था की गई है।
नीना श्रीवास्तव ने कहा कि कई जगह बोर्ड प्रैक्टिकल संबंधित शिकायतें मिली हैं। इसके निस्तारण और समाधान पर विचार किया जा रहा है। हालांकि बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षाओं में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। ऐसे में संबंधित जिला विदयालय निरीक्षकों को परीक्षाएं सही से कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
डीआईओएस लखनऊ डॉ मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि लगातार कालेजों का निरीक्षण करके उन्हें मानक सही करने की हिदायत दी जा रही है। जो स्कूल बोर्ड परीक्षा में सही से परफार्म नहीं करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन स्कूलों की हालत खराब है उन पर भी कार्रवाई होगी।