लखनऊ: राजधानी के डॉक्टरों का कहना है, साल दर साल फैल रही बीमारियों के पीछे वेस्टर्न कल्चर को भी जिम्मेदार मानते हैं। इंडियन कल्चर में हमेशा हाथों को जोड़ कर नमस्कार करने की प्रथा है, लेकिन लोगों ने जब से वेस्टर्न कल्चर को फॉलो करना शुरू किया है, तब से लोग एक-दूसरे से मिलने पर हाथ मिलाने लगे हैं। इससे बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
डॉ आशुतोष कुमार दुबे का क्या कहना है?
सिविल हॉस्पिटल के सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ. आशुतोष कुमार दुबे के मुताबिक ये तब और ज़्यादा होता है, जब लोग अपने हाथों को साफ़ किए बगैर ही हाथ मिलाने लगते हैं। उन्होंने सलाह देते हुए ये भी कहा है कि लोगों को खांसने या छींकने पर मुंह पर रुमाल रखना चाहिए। इससे जर्म्स एक-दूसरे तक नहीं पहुंचेंगे, लेकिन, जब उसी समय मिलाने के लिए बढ़े हाथ से हाथ न मिलाया जाए तो लोग बुरा मान जाते हैं। लोग ये नहीं सोचते कि हाथों के मिलने से जर्म्स-पार्टिकल्स एक से दूसरे तक ट्रांसफर हो जाते हैं, जो कि बीमारियों के फैलने का प्रमुख कारण है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि समाज में कुछ समुदायों में बोलते वक़्त भी मुंह को कवर रखने की प्रथा है। इससे बात करते समय मुंह से थूक के जरिए जर्म्स एक दूसरे तक ट्रांसफर नहीं हो पाते है, जिससे बीमारी होने की संभावना कम रहती है।
बदला मौसम भी है जिम्मेदार
डॉ. दुबे से जब बदलते मौसम में बीते साल की तुलना बीमारियों से परेशान मरीज़ों की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि मरीज़ों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। इसका कारण मौसम का बदलता मिजाज है। मौसम शुष्क हो जाता है और हवाओं के साथ धूल उड़ने लगती है। साथ ही फूलों का पराग यानी पॉलीनेशन भी हवाओं के साथ उड़ने लगता है। जिसकी वजह से सांस से संबंधित बीमारियां बढ़ने लगती हैं। इस कारण से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीज़ ओपीडी में ज्यादा आते हैं। इस मौसम में कंजगक्टिवाइटिस की बिमारी बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा त्वचा में स्किन ड्राईनेस की दिक्कत भी होने लगती हैं।