Sonbhadra News: भाजपा के परंपरागत वोटरों में SP सेंध लगाने में रही कामयाब, मोदी-योगी फैक्टर ने दिलाई BJP को नजदीकी जीत

Sonbhadra News: सोनभद्र में चारों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर जहां एक नया इतिहास रचने में कामयाबी पाई। वहीं, सपा, पूर्व के चुनावों के मुकाबले ज्यादा मत अर्जित कर, भाजपा के परंपरागत वोटों में सेंधमारी कर एक नया समीकरण तैयार करने में सफल रही।

Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-03-11 10:15 GMT
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Sonbhadra News: सोनभद्र में चारों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर जहां एक नया इतिहास रचने में कामयाबी पाई। वहीं, सपा, पूर्व के चुनावों के मुकाबले ज्यादा मत अर्जित कर, भाजपा के परंपरागत वोटों में सेंधमारी कर एक नया समीकरण तैयार करने में सफल रही। लेकिन, राबर्ट्सगंज और दुद्धी विधानसभा, जहां सपा जीत का प्रबल दावेदार मानी जा रही थी, वहां आखिरी समय में हावी हुए मोदी-योगी फैक्टर ने बीजेपी को नजदीकी जीत दिलाकर, सपा को पीछे छोड़ दिया।

राबर्ट्सगंज विधानसभा (Robertsganj Assembly) में पहाड़ी अंचल के आदिवासी वोटरों के एक बड़े तबके के अलावा, ब्राह्मण, ठाकुर, शर्मा, श्रीवास्तव, विश्वकर्मा, पासवान, चौहान, प्रजापति को भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है। 2017 के चुनाव में यह फैक्टर भाजपा को अच्छी जीत दिलाने में कामयाब रहा लेकिन इस बार पटेल वोटरों में अच्छी सेंधमारी के साथ ही ब्राह्मण और ठाकुर वोटरों में भी सेंधमारी की स्थिति भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को आखिरी समय तक चिंता में डाले रही। इसको देखते हुए चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में पूर्वांचल के कई चर्चित चेहरों ने राबर्ट्सगंज विधानसभा (Robertsganj Assembly) में डेरा तो डाला ही, पीएम मोदी की सभा के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव की, पटेल बाहुल्य इलाके में सभा कराई गई।

कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक (Cabinet Minister Brijesh Pathak) को ब्राम्हण बाहुल्य गांव में भेजकर, वहां के लोगों से संवाद कराया गया। मतदान शुरू होने के ऐन वक्त पहले ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की एक बड़ी संख्या का मूवमेंट भाजपा के पक्ष में होता दिखा भी लेकिन इसे पार्टी का अंतर्विरोध का परिणाम कहें या फिर सोनभद्र में अपना दल एस की एक भी सीट पर सीधी उम्मीदवारी न होने की टीस, आखिरी क्षणों तक पटेल वोटरों का एक बड़ा खेमा भाजपा से दूरी बनाता नजर आया। पटेल बिरादरी के स्थानीय नेताओं के बदले सुर भी इसकी गवाही देते नजर आए। वहीं, मतगणना के परिणाम भी इसे साबित करते दिखे। एक तरफ जहां पिछली बार भाजपा को मिले मत में लगभग पांच हजार की गिरावट आई। वहीं सपा के मतों में 25 हजार से अधिक की बढ़ोतरी ने, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में, सोनभद्र के संगठनात्मक समीक्षा को लेकर चर्चा शुरू करा दी है।

राबर्ट्सगंज: करीबियों ने डुबो दी थी नैया, आखिरी वक्त में अपने आए काम

राबर्ट्सगंज विधानसभा (Robertsganj Assembly) में इस बार, विधायक भूपेश चौबे (MLA Bhupesh Choubey) के पांच साल के कार्यकाल में बने करीबियों और विधायक बनने से पहले के अपने रहे लोगों की भी भूमिका चर्चा का विषय बनी रही। कार्यकाल के आखिरी समय तक आर्थिक मैनेजमेंट के साथ ही, धंधे की बरकत और राजनीतिक लाभ में विधायक के रसूख तथा उनके नाम का फायदा लेने वालों की भूमिका, गवांई वोटरों के बीच भाजपा को मजबूती दिलाने की जगह चट्टी चौराहों पर होने वाली बतकही, समीकरण के आकलन और हार-जीत के अटकलों में ज्यादा दिखी। वहीं, विधायक बनने से पहले के अपने रहे लोग, विधायक को एक बार फिर से मौका देने के लिए मतदाताओं की मनुहार और उन लोगों की नाराजगी दूर करने की कोशिश में जुटे रहे। विधायक जी के कार्यकाल के दौरान, करीब आए कुछ नाम ऐसे भी रहे, जिन्होंने बगावत का झंडा तो बुलंद किया ही, उनकी करीबी के चलते अपनों में बनी नाराजगी ने भी भाजपा को नुकसान पहुंचाया।

घोरावलः 2012-17 की कमियां नहीं छोड़ पाईं पीछा

घोरावल विधानसभा सीट (Ghorawal assembly seat) पर जीत के प्रबल दावेदार माने जा रहे सपा उम्मीदवार रमेशचंद्र दुबे (SP candidate Rameshchandra Dubey) की हार के पीछे 2012-2017 के कार्यकाल में उनके नाम और रसूख का फायदा कुछ लोगों तक ही सिमटने की रही चर्चा और कुछ लोगों को पहुंचे नुकसान का मामला 2022 में भी उनका पीछा छोड़ता नजर नजर नहीं आया। जबकि रमेश दुबे की छवि एक तेजतर्रार नेता की तो मानी ही जाती है, अपने विधायकी के कार्यकाल में उन्होंने कुछ ऐसे कार्य कराए, जो घोरावल विधानसभा क्षेत्र में मील का पत्थर बने हुए हैं। यहां उनके समर्थन में दिख रहे ब्राह्मण वोटरों में हुई टूट के लिए, इस चर्चा को, एक बड़े कारण के रूप में देखा जा रहा है।

दुद्धी: सपा प्रत्याशी के मुकाबले कमजोर होने की छवि ने पहुंचाई मदद

दुद्धी विधानसभा (Duddhi Assembly) में उलटफेर भरे परिणाम के पीछे, सपा प्रत्याशी की दबंग छवि और भाजपा प्रत्याशी की उनके मुकाबले कमजोर छवि ने यहां भाजपा को बड़ी मदद पहुंचाई। इससे जहां सजातीय वोटरों में उपजी सहानुभूति का लाभ मिला। वहीं सपा के रोड शो और चुनाव प्रचार में सपा कार्यकर्ताओं का दिखता अति उत्साह भी यहां, सपा के गैर परंपरागत वोटरों को सपा से दूर करता चला गया।

ओबरा: खरवार वोटरों में नहीं बन पाई बसपा की पैठ

ओबरा विधानसभा (Obra Assembly) में खरवार वोटरों की जिताऊ तादाद रहने के बावजूद बसपा, खरवार वोटरों में मजबूत पैठ नहीं बना पाई। खरवार बिरादरी का प्रत्याशी होने के कारण, बसपा को खरवार वोट तो मिले लेकिन खरवार वोटरों का बहुमत भाजपा के पक्ष में बना रहा। वहीं राशन फैक्टर ने भी बसपा के बेस वोटरों के जरिए बीजेपी को मदद पहुंचाई।

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