Fazilnagar Election Result 2022: मौसम का मिजाज भांपने में इस बार गच्चा खा गए स्वामी प्रसाद मौर्य, फाजिलनगर में भाजपा ने बड़ा हिसाब चुकाया

Fazilnagar Election Result 2022: स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा ने मौर्य को फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र में 26 हजार से अधिक मतों से हराया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-03-10 14:35 GMT

Swami Prasad Maurya

Fazilnagar Election Result 2022: मौसम का मिजाज भांपकर दल बदलने में माहिर स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) इस बार गच्चा खा गए। चुनाव से तुरंत पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थामा था मगर इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें फाजिलनगर विधानसभा सीट (Fazilnagar assembly seat) पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने इस सीट पर स्वामी प्रसाद की तगड़ी घेराबंदी कर रखी थी और आखिरकार पार्टी मौर्य को पटखनी देने में कामयाब रही।

भाजपा छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे मगर उनके सारे दावे धरे के धरे रह गए। भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा ने मौर्य को फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र (Fazilnagar assembly seat) में 26 हजार से अधिक मतों से हराया है। इस बड़ी हार के बाद मौर्य ने अपने ट्वीट में जनादेश का सम्मान करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि चुनाव हारा हूं,हिम्मत नहीं। संघर्ष का अभियान आगे भी जारी रहेगा।

पहले मायावती के करीबी रह चुके हैं स्वामी प्रसाद

स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Maurya) बसपा के टिकट पर चार बार विधायक बने। उनकी गिनती मायावती के करीबी नेताओं में होती थी और इसी कारण वे मायावती सरकार में ताकतवर मंत्री होने के अलावा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। बसपा मुखिया का करीबी होने के बावजूद उन्होंने 2016 में मायावती को भारी झटका देते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बसपा छोड़ने के साथ उन्होंने मायावती पर टिकट बेचने का बड़ा आरोप लगाया था।

भाजपा पर लगाया था बड़ा आरोप

2017 के चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें जीत हासिल हुई थी। उन्हें योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर सपा का दामन थाम लिया था।

भाजपा से इस्तीफा देते समय उन्होंने पार्टी पर पिछड़ों और गरीबों की उपेक्षा करने का बड़ा आरोप लगाया था। उनका कहना था कि वे मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएंगे। इस बार वे अपनी सीट बदलकर फाजिलनगर (Fazilnagar assembly seat)में किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे।

हिसाब चुकाने में जुटी हुई थी भाजपा

भाजपा पर बड़ा आरोप लगाने के कारण पार्टी इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) से हिसाब चुकाने में जुटी हुई थी। भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने खुद को नेवला बताते हुए कहा था कि नाग रूपी आरएसएस और सांप रूपी भाजपा को स्वामी रूपी नेवला यूपी से खत्म करके ही दम लेगा। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को बड़बोला नेता माना जाता रहा है और अपने बड़बोलेपन में ही उन्होंने यह बयान दिया था। इसी कारण भाजपा ने भी फाजिलनगर (Fazilnagar assembly seat) में स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की तगड़ी घेराबंदी कर रखी थी और आखिरकार इसका नतीजा भी देखने को मिला जब स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Maurya) इस सीट पर 26 हजार से अधिक मतों से चुनाव हार गए।

भाजपा ने इस सीट पर सुरेंद्र सिंह कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा था। सुरेंद्र के पिता गंगा सिंह कुशवाहा की फाजिलनगर विधानसभा सीट (Fazilnagar assembly seat) पर मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। 2012 और 2017 के चुनाव में उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल करके इस बात को साबित भी किया है। कुशवाहा और अन्य ओबीसी जातियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने सुरेंद्र कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारकर स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Maurya) की मुश्किलें और बढ़ा दी थीं।

मायावती ने भी खेला था बड़ा दांव

भाजपा के साथ बसपा मुखिया मायावती ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) से हिसाब चुकाने की कोशिश की थी और इसी कारण उन्होंने इलाके पर मजबूत पकड़ रखने वाले सपा नेता इलियास अंसारी को बसपा का टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया था। स्वामी प्रसाद के चुनाव मैदान में उतरने के कारण इलियास का टिकट कट गया था और इस कारण वे फूट-फूट कर रोए भी थे।

मायावती ने पहले इस सीट पर संतोष तिवारी को टिकट दिया था मगर स्वामी प्रसाद को घेरने के लिए उन्होंने अपना फैसला बदलते हुए इलियास अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा था। त्रिकोणीय मुकाबले में फंसने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की स्थिति कमजोर मानी जा रही थी और आखिरकार उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

इस बार गच्चा खा गए स्वामी प्रसाद

सियासी जानकारों का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) मौसम का मिजाज भांपने वाले राजनेता रहे हैं और इसी कारण उन्होंने 2016 में बसपा की सदस्यता छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। पांच साल सत्ता की मलाई काटने के बाद इस बार उन्हें सपा गठबंधन मजबूत दिख रहा था और इसी कारण उन्होंने चुनाव से ऐन पहले भाजपा छोड़कर सपा का दामन थामा था। वैसे इस बार उनका चुनावी दांव पूरी तरह उल्टा पड़ गया क्योंकि भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल करने के साथ प्रदेश की सत्ता पर एक बार फिर कब्जा कर लिया है जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को हार का सामना करना पड़ा है।

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